Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Saturday, May 10, 2025 1:02:47 AM

वीडियो देखें

संस्कृत के गर्भ में आधुनिकता के सभी तत्व मौजूद

संस्कृत के गर्भ में आधुनिकता के सभी तत्व मौजूद

संस्कृत शिक्षा विभाग राजस्थान का राज्य स्तरीय विद्वत सम्मान समारोह सम्पन्न

कोटा।  युवा पीढ़ी को आकर्षित करने और संस्कृत सीखने वालों की रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने व नए जमाने की विषय वस्तु और कौशल आधारित घटकों को शामिल करके पाठ्यक्रम में सुधार करना आवश्यक हो गया है। बाज़ार में प्रतिस्पर्धी और प्रासंगिक बने रहने के लिए व्यक्ति को अपने संबंधित क्षेत्रों में कुशल होने की आवश्यकता है। हमें इस धारणा को बदलना होगा कि संस्कृत केवल कर्मकांड की भाषा है। 

यह बात संस्कृत शिक्षा विभाग राजस्थान द्वारा संस्कृत दिवस के अंतर्गत यूआईटी ऑडिटोरियम में आयोजित राज्य स्तरीय विद्वत सम्मान समारोह 2024 में सोमवार को सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित भारतीय भाषा समिति, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. चमूकृष्ण शास्त्री ने कही। उन्होंने कहा कि छात्रों को नौकरी के लिए तैयार करने के लिए पाठ्यक्रम में संशोधन की आवश्यकता है। संस्कृत का अध्ययन आपको पारंपरिक भारतीय भाषा से परिचित कराता है। लेकिन आज के समय में प्रासंगिक कौशल हासिल करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। संस्कृत में पढ़ाए और सीखे गए नए जमाने के विषयों को एकीकृत करके एक बहु-विषयक दृष्टिकोण जरूरी है। नई शिक्षा नीति 2020 में भी यही बात कही गई है।

उन्होंने सुझाव दिया कि आरपीएससी की परीक्षाओं में हिंदी अंग्रेजी के साथ ही 10 अंकों के संस्कृत के प्रश्न भी पूछे जाएं। आज सभी विषयों की पुस्तकें भारतीय भाषाओं में अनुवादित की जा रही हैं। ऐसे में देश को करीब एक लाख अनुवादकों की आवश्यकता है। संस्कृत के छात्र किसी भी भाषा को आसानी से सीख लेते हैं और बेहतरीन अनुवादक साबित होते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि संस्कृत कालेजों में पचास प्रतिशत आधुनिक विषय पढाए जाने चाहिए।

इससे पूर्व कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने मंच पर मौजूद सभी धर्माचार्यों का स्वागत कर उनका आशीर्वाद लिया। संस्कृत शिक्षा आयुक्त विजयपाल सिंह ने कहा कि संस्कृत के गर्भ में आधुनिकता के सभी तत्व मौजूद हैं। शैक्षणिक अधिकारी डॉ. जगदीश प्रसाद शर्मा ने मुख्यमंत्री के शुभकामना सन्देश का वाचन किया।

बाबा निरंजन दास ने सुझाव दिया कि संस्कृत विद्वानों को समय-समय पर आपसी चर्चा कर देश के सांस्कृतिक उन्नयन के लिए मंथन करना चाहिए। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए उर्जा मंत्री हीरालाल नागर ने अपने विधानसभा क्षेत्र में स्थित डूंगरज्या संस्कृत विद्यालय का उल्लेख करते हुए कहा कि इस विद्यालय में पढ़े लगभग 100 छात्र आज सरकारी सेवा में हैं। किन्तु आज इस विद्यालय का भवन जर्जर हालत में है। उन्होंने शिक्षा मंत्री से विद्यालय की स्थिति सुधरवाने की मांग की। कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति संस्कृत पर आश्रित है। मंच पर संभागीय आयुक्त उर्मिला राजोरिया भी मौजूद थीं। कार्यक्रम के दौरान संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित श्रावणी पत्रिका का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।

 

सर्वोच्च अंक पाने वाले छात्रों को किया सम्मानित

 

 

प्रदेश भर के प्रवेशिका (दसवीं), वरिष्ठ उपाध्याय (सीनियर), शास्त्री (स्नातक), आचार्य (पीजी) तथा अन्य व्यवसायिक संस्कृत परीक्षाओं (2023) में सर्वोच्च अंक पाने वाले छात्र-छात्राओं को उपस्थित अतिथियों ने प्रशस्ति पत्र तथा पुरस्कार राशि के चेक भेंट किए।

 

ये हैं पुरस्कार पाने वाले छात्र-छात्राएं

 

पुरस्कार पाने वाले छात्र-छात्राओं में दिव्या शर्मा, शुभम त्रिवेदी, सोनाली राठोर, दिव्या गज्जा, दीप्माल पांड्या, सरिता यादव, रेखा शर्मा, राजू, रेणु कुमारी, आशा परवानी, सोनू महावर, शिवानी मालव, ज्योति, नेहा, धर्मसिंह मीना, भगवती महावर, मोनिका, कशिश, पलक शर्मा, समृद्धि राहुल, धनञ्जय, नितिन शर्मा, बंसी, अनुष्का शर्मा तथा प्रीति सेन शामिल थे। इनके अलावा प्रवेशिका, वरिष्ठ उपाध्याय, शास्त्री, आचार्य संस्कृत संस्थानों को भी सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया।

 

संस्कृत ग्रंथों में मौजूद हैं वैज्ञानिक शोधों के स्त्रोत

 

मुख्य अतिथि संस्कृत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि आज के सभी तथा आने वाले सभी वैज्ञानिक शोधों के स्त्रोत संस्कृत ग्रंथों में मौजूद हैं। पृथ्वी से सूर्य की दूरी का वर्णन हनुमान चालीसा में मिलता है। उन्होंने सभी को आश्वस्त किया कि संस्कृत शिक्षा के अधिकाधिक विस्तार के लिए उनका मंत्रालय सतत रूप से प्रयास करता रहेगा।

 

इनको मिला संस्कृत साधना शिखर सम्मान

 

कार्यक्रम में ‌संस्कृत साधना शिखर सम्मान बाबा निरंजननाथ, संस्कृत साधना-सम्मान प्रो. गणेशीनाथ सुधार, प्रो. श्रीकृष्ण शर्मा, संस्कृत विद्वत्सम्मान माणक चंद सोनी, कैलाश चंद्र बुनकर, छाजूराम गुर्जर, बहादुर सिंह गुर्जर, डॉ. भगवती शंकर व्यास, डॉ. बाबूलाल मीणा को प्रदान किया गया।

 

ये रहे संस्कृत युग प्रतिमा पुरस्कार पाने वाले

 

संस्कृत युग प्रतिमा पुरस्कार उर्मिला बैरवा, प्रो. कृष्णा शर्मा, डॉ. जितेंद्र कुमार गौतम, डॉ. दिनेश कुमार यादव, डॉ. नानूराम जाट, बुद्धि प्रकाश जांगिड़, डॉ. राकेश कुमार जैन, डॉ. रामेश्वर दयाल शर्मा, डॉ. शशि कुमार शर्मा, डॉ. सुभाष चंद्र मीणा, घनश्याम हरदेनिया, प्रशांत शर्मा को प्रदान किया गया। इनके अतिरिक्त मंत्रालयिक सेवा सम्मान गणपत लाल, श्रीमती गीता भंभाणी तथा विशिष्ट सम्मान अंजनी कुमार गोस्वामी, महंत श्री गोविंद देव जी मंदिर जयपुर, कुमार तोषनीवाल पुष्कर नारायण तोषनीवाल चैरीटेबल ट्रस्ट, चंद्रशेखर शारडा़, जसवंतगढ़, देवनारायण जैमन दौसा, प्रियव्रत सिंह कुल सचिव (आरएएस), डॉ. ज्योत्सना सिखवाल, निदेशक विश्व भारती महाविद्यालय सीकर, ओम प्रकाश गुप्ता, अध्यक्ष केशव विद्यापीठ जयपुर, शिवा सरस्वती, डॉ. हेमा सरस्वती, सनातन पुरी थेगड़ा धाम, रामदास महाराज लक्ष्मी गौशाला सांगोद, घनश्याम शर्मा कोटा तथा नरोत्तम पुजारी सालासर बालाजी धाम को प्रदान किया गया। संस्कृत संस्थानों को संसाधनों से समृद्ध करने वाले भामाशाहों का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शिवचरण शर्मा तथा डॉ. हंसराज गुप्ता ने किया। अंत में संस्कृत शिक्षा संयुक्त शासन सचिव कैलाशचंद यादव ने सभी का आभार व्यक्त किया।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *