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Tuesday, April 29, 2025 11:30:42 AM

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1 मई को धरना स्थल पर ही धूमधाम से मनाएंगे मजदूर दिवस

1 मई को धरना स्थल पर ही धूमधाम से मनाएंगे मजदूर दिवस

20 मई को प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल की सफलता को लेकर तैयारी शुरू

बकाया भुगतान की मांग को लेकर 70 वें दिन भी जारी रहा जेके फैक्ट्री के मजदूरों का धरना

कोटा/ इटावा।  ट्रेड यूनियनों की 20 मई को प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल की सफलता के लिए कोटा कलेक्ट्रेट पर बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर 18 फरवरी से धरने पर बैठे जेके फैक्ट्री के मजदूरों ने तैयारी शुरू कर दी है। वहीं जेके फैक्ट्री के मजदूरों ने 1 मई को धरना स्थल पर ही मजदूर दिवस मनाने का भी निर्णय लिया है।

धरने के 70 वें दिन मजदूर नेता कामरेड हबीब खान ने बताया कि सरकार की दमनकारी नीतियों के कारण 1886 में मजदूरों के हितों में संघर्ष करते हुए शहीद हुए मजदूरों की कुर्बानियों का प्रतीक दिन मजदूर दिवस जेके फैक्ट्री के मजदूर 1 मई को धरना स्थल पर ही धूमधाम के साथ मनाएंगे। साथ ही 20 को होने वाली मजदूरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल को कोटा जिले में पुरजोर तरीके से सफल बनाने के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। उन्होंने धरने में उपस्थित सभी मजदूर नेताओं और महिला मजदूरों से 1 मई को ज्यादा से ज्यादा संख्या में धरना स्थल पर पहुंचने की अपील की है।

मीडिया प्रभारी मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि‌ 70 वें दिन धरने को मजदूर नेता नरेंद्र सिंह, मदन मोहन शर्मा, कालीचरण सोनी, पुष्पा खींची, जाहिदा बानो आदि नेताओं ने भी सम्बोधित किया। 70 वें सोमवार को धरने का संचालन कामरेड अशोक सिंह ने किया।

इस बीच दर्जनों महिलाएं, जेके फैक्ट्री के मजदूर और सीटू सदस्य मौजूद रहे।

 

इसलिए मनाया जाता है मजदूर दिवस

 

मजदूर नेता हबीब खान व नरेंद्र सिंह ने बताया‌ कि‌ 1 मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है, जिसे मई दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन 1886 में अमेरिका के शिकागो शहर में मजदूरों ने पूंजीवादी शोषण और काम के घंटे निर्धारित किए जाने, यूनियन बनाने के अधिकार और तमाम मजदूर अधिकारों के लिए लेकर ऐतिहासिक हड़ताल की थी। जिसका बर्बरता पूर्वक दमन किया गया। कई दिनों तक चले संघर्ष में हजारों मजदूर अंग्रेजी हुकूमत की पुलिस की गोलियों से शहीद हुए। 8 मजदूर नेताओं को संघर्ष के एक साल बाद 1887 को फांसी पर चढ़ा दिया गया था। काम के 8 घंटे का कार्य दिवस जो आज पूरे विश्व में लागू है, मई दिवस के शहीद मजदूरों की कुर्बानियों के इतिहास का प्रतीक दिन है।

 

स्वतंत्रता के अधिकार का नाम है हड़ताल

 

मजदूर नेताओं कहा कि भारत में 8 घंटे कार्य दिवस और मजदूर अधिकार व अन्य मजदूर हितकारी कानूनों के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जो संघर्ष किया उसे भी नहीं‌ भुलाया सकता। वायसराय की एग्जीक्यूटिव के लेबर मेंबर की हैसियत से वे मजदूर हित के लिए कई प्रस्ताव लाए। मजदूरों के हड़ताल करने के अधिकार का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा था कि हड़ताल स्वतंत्रता के अधिकार का नाम है। मई दिवस और मजदूरों की कुर्बानियों के बीच यह भी गौरतलब है कि लड़ कर हासिल किए तमाम मजदूर अधिकारों को आज छीनने का दौर चल रहा है। 8 घंटे काम का अधिकार हो या यूनियन बनाने का अधिकार, सब धीरे धीरे खत्म किए जा रहे हैं। जहां मजदूर अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहां उन पर बर्बर तरीके से जुल्म ढाया जा रहा है। इसी बर्बरता का शिकार जेके के मजदूर हो रहे हैं जो 27 साल बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर 70 दिन से धरने पर बैठे हुए हैं।

 

महिला समिति ने भी किया हड़ताल का समर्थन

 

सीटू के मीडिया प्रभारी मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि सीटू की‌ ओर से 20 मई को संयुक्त ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर होने वाली मजदूरों की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल को पूरे कोटा जिले में सफल बनाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। वहीं जनवादी महिला समिति ने भी हड़ताल को अपना समर्थन दिया है।

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