आज के दौर में बीजी ठंडी हवा के झोंके की तरह: डॉ.राजाराम त्रिपाठी इन दिनों स्वांत सुखाय लेखन की भरमार हो गई है। ज्यादातर लेखक रचना के नाम पर अपनी कुंठाओं,अंतर्विरोधों, पूर्वाग्रहों,विकृतियों का वमन परोस रहे हैं। साहित्य और
करमजीत कौर के कहानी संग्रह बीजी का भव्य लोकार्पण
