सनातन रक्षा दल के राष्ट्रीय महासचिव जगपाल सिंह मावी ने कहा कि आज के दौर जो तरह-तरह की मानवजनित ज्वंलत समस्याएं अधिकांश लोगों के सामने खड़ी हुई है, उसके लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं, लेकिन इन सभी समस्याओं का एक मात्र समाधान भारत की गौरवशाली सनातन धर्म की संस्कृति के पालन में छिपा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की वैचारिक बहसों में ‘पश्चिमी संस्कृति बनाम भारतीय सनातन संस्कृति’ का मुद्दा अक्सर लोगों के विचार-विमर्श के मुख्य केंद्र में होता है, लेकिन हम लोग सनातन धर्म की उच्च कोटि की संस्कृति के तथ्यों को रखकर विरोधी पक्ष का मूँह बहस में तो बंद कर देते हैं, परंतु अपने क्षणिक स्वार्थ के चलते कभी-कभी उस गौरवशाली सनातन संस्कृति का पालन ना करके अपराध कर बैठते हैं, जो बिल्कुल सही नहीं है। उन्होंने कहा कि आज देश में बढ़ते अपराध, बढ़ती रेप की घटनाएं व हाथरस जैसे जघन्य अपराध के लिए कही ना कही हम स्वयं जिम्मेदार है, जिस भारतीय संस्कृति में नारी की पूजा होती है, आज हम में से चंद लोगों ने पश्चिमी देशों की संस्कृति से प्रभावित होकर देश में नारी का सम्मान करने की जगह उसको उपभोग करने की वस्तु मान लिया है, जो कुछ लोगों के विचारों के तेजी से गिरते स्तर को प्रदर्शित करता है।
जगपाल सिंह मावी ने कहा कि पश्चिमी देशों की संस्कृति ने स्त्री को बाजार देने का काम किया है, जबकि हमारी सनातन संस्कृति ने स्त्री को पूजना सिखाया उसको समाज में सर्वोच्च स्थान दिया है, लेकिन कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के गलत लोगों की वजह से आज नारि शक्ति पर देश में बहुत तेजी से अत्याचार बढ़ रहे हैं, यह स्थिति हमारे समाज के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है, हम सभी को मिलकर इसका जल्द से जल्द समाधान करना होगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम संस्कृति का जीवन-दर्शन कहता है कि हम प्रकृति को जीतकर आगे बढ़कर प्रकृति पर कब्जा जमाकर, उसमें अपने स्वार्थानुसार तोड़फोड़ मचाकर उसे अपने मनमुताबिक ढाल ले, ईश्वर की देन प्रकृति के आशीर्वाद को भी जबरन अपनी तथाकथित काबिलियत के बुनियाद पर हासिल करना पश्चिमी संस्कृति की घातक सोच है। इसके विपरीत, भारतीय सनातन संस्कृति प्रकृति के साथ मिलजुलकर समरस होकर उसके आशिर्वाद को प्राप्त करके सहयोग करते हुए साथ-साथ प्रेमभाव से जीने की बात करती है। उन्होंने कहा कि हमारी सनातन संस्कृति प्रकृति को जीत लेने, नष्ट कर देने की सोच वाली नहीं है, बल्कि उसमें आपसी प्यार सहयोग का अनमोल भाव है और ‘जियो और जीने दो’ की बेहतरीन बुनियादी सोच है। उन्होंने कहा कि आज के अत्याधुनिक युग में भी सनातन धर्म संस्कृति के सिद्धांत बेहद कारगर है, आज के बेहद उपभोक्तावादी दौर में भी वो हम लोगों को अपराधी, हैवान व जाहिल बनने से रोकते है। हमारी सनातन संस्कृति हमेशा हमको एक अच्छा बेहतरीन इंसान बनने के लिए प्रेरित करती रहती है और हमें हमेशा गलत कार्य करने से रोकती है। इसलिए हमारा सनातन धर्म विश्व मे सबसे प्राचीन व सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आज के युवाओं को शांतचित्त मन से विचार करना चाहिए कि सनातन संस्कृति के पालन से ही आज के दौर की ज्वंलत समस्याओं का स्थाई समाधान होगा।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






