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Tuesday, April 22, 2025 8:58:53 PM

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एक तीर से चार निशाना

एक तीर से चार निशाना
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार जगदंबा प्रसाद जायसवाल,विकास कुमार गोंड की रिपोर्ट

करुअना, देवरिया जिले के भालुआनी ब्लॉक के सोना डी निवासी स्वतंत्र सिंह की उनका कहना है कि

मैं स्नातक सन् 1994 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से किया उस समय पिता जी उत्तर प्रदेश पुलिस में नौकरी करते थे और मैं पढ़ाई और खेती दोनों ही काम करता था| पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद ठेकेदारी के काम में लग गया| भारत के कई राज्यों में कार्य करने का मौका मिला इसी बीच शादी हुई बच्चों को पढ़ाने का काम व ठेकेदारी साथ-साथ चलने लगा| बच्चे दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने लगे| घर का मैं अकेला होने के नाते मुझे पुनः घर वापसी करना पड़ा क्योंकि बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल की जिम्मेदारी थी| 2018 में घर वापसी के बाद पुनः खेती करना शुरू किया| वही परंपरागत खेती – गेहूं,धान, अरहर,मक्का जिसमें कृषि विभाग से जानकारी करके नए-नए तरीकों को अपनाया और गेहूं उत्पादन में 2018-19 में देवरिया जनपद के किसान सम्मान दिवस पर प्रथम पुरस्कार विजेता बना। लेकिन खेती में मेहनत बहुत थी| उस समय सरकार द्वारा प्रचार अभियान चल रहा था कि फसल अवशेष प्रबंधन कैसे किया जाए| जगह-जगह पाठशाला, कृषि-गोष्ठी,बैनर,पोस्टर पर फसल अवशेष प्रबंधन पर ही चर्चा हो रहा था| तो मैंने भी अध्ययन किया कि इतनी बड़ी समस्या प्रदूषण से है तो क्यों ना इसका उपाय निकाला जाए| खोजते-खोजते अध्ययन के दौरान हमें मशरूम की खेती का एक उचित रास्ता मिला जिसको पैदा करने के लिए फसल अवशेष की ही जरूरत होती है और मैं कृषि विज्ञान केंद्र जाकर वैज्ञानिक मनोज पांडेय जी से मिला तो वे मशरूम खेती का तरीका और लाभ बताकर हमारा उत्साहवर्धन किये और गहराई से अध्ययन करने पर पता चला कि इस खेती से किसानों को जैविक उत्पाद एवं स्वरोजगार प्राप्त हो सकता है (1)साथ ही साथ प्रदूषण,किसानों की आय बढ़ाने, (2)बेरोजगारी, (3) प्रदूषण नियंत्रण, (4) जैविक खेती जैसे तमाम बिंदुओं पर कंट्रोल किया जा सकता है। मैंने सोलन,हिमाचल प्रदेश, खुम्भ निदेशालय जाकर जानकारी ली और खेती करना शुरू किया। मशरूम की कई प्रजातियों को मैंने उगाया और बिक्री भी किया। मैंने पाया कि इतनी पौष्टिक मशरूम हम कम लागत में, कम मेहनत करके अच्छी आमदनी ले सकते हैं तो क्यों ना इसी को करें। मैं विभिन्न प्रकार के मशरूम जैसे आयस्टर, मिल्की, पैड़ीस्ट्रॉ, बटन आदि मशरूम उगाता हूं और किसानों को उगाने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा हूं किसान लोग उगा भी रहे हैं।
मेरा विचार यह है कि सरकार को गंभीरता से इस विषय पर विचार करना चाहिए|
मैं एक किसान हूं और किसानों की समस्या क्या है शायद मैं अच्छी तरह से जानता हूं| सरकार से आग्रह केवल मात्र यही है कि हमारे मशरूम के उत्पाद के क्रय-विक्रय की व्यवस्था अगर मंडियों में करा दें तो वह दिन दूर नहीं कि हवाई चप्पल वाला किसान हवाई जहाज की यात्रा कर लेगा|
चीन,थाईलैंड का किसान मशरूम की खेती कर खुशहाल है। पूरे विश्व के मशरूम उत्पादन में चीन अकेले 70 -75 % मशरूम उत्पादन करता है क्योंकि वहां पर सरकार द्वारा मशरूम के क्रय-विक्रय के साथ-साथ मशरूम के आयात एवं निर्यात का भी उचित प्रबंधन है|
मैंने अपने क्षेत्र के सभी अधिकारियों, कर्मचारियों से लेकर जिला अधिकारी, मंडलायुक्त,कृषि मंत्री सभी को पत्र दिया लेकिन क्रय-विक्रय के संबंध में किसी ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया| यदि सरकार मशरूम के क्रय विक्रय का उचित प्रबंधन करे तो मशरूम की खेती ही प्रवासी मजदूर, बेरोजगार, युवक, महिलाएं, किसान या देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने में मील का पत्थर साबित होगा| मशरूम के अनेक उत्पाद बनाए जा सकते हैं जो अत्यंत गुणकारी व लाभकारी हैं| यदि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर क्रय- विक्रय का उपाय करें तो हम किसानों की तरफ से गारंटी लेते हैं कि अपने देश को स्वच्छ,समृद्ध,खुशहाल बनाने में अन्य कई देशों से आगे रहेंगे।
मैंने 23 दिसंबर 2019 को किसान सम्मान दिवस पर जनपद देवरिया में गेहूं उत्पादन का प्रथम पुरस्कार एवं मशरूम उत्पादन हेतु भी पुरस्कार हासिल किया| गोरखपुर महोत्सव में प्रदर्शनी प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर प्रथम पुरस्कार हासिल किया | लखनऊ राजभवन में शाक-भाजी प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर तृतीय पुरस्कार हासिल किया और लॉकडाउन के शुरुआती दौर से ही ताजा मशरूम गरीबों, असहाय लोगों को प्रतिदिन 200 पैकेट लगभग 10 दिन तक बांटा एवं जागृति सेवा संस्थान के सहयोग से कोरोना महामारी में प्रवासी मजदूर भाइयों को

नि:शुल्क ट्रेनिंग दिया | कोरोना महामारी के शुरुआत से ही प्रवासी मजदूर भाइयों को आत्मनिर्भर बनने के लिए नि:शुल्क सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक ट्रेनिंग दी गयी| जिससे सैकड़ों प्रवासी मजदूर भाई मशरूम की खेती कर रहे हैं मेरे द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र पर कई बार प्रवासी मजदूर भाइयों को नि:शुल्क ट्रेनिंग दी गई एवं बलिया जनपद में जिला विकास अधिकारी के द्वारा बुलाए जाने पर कई स्वयं सहायता समूह के महिलाओं को मशरूम खेती की ट्रेनिंग दी गई| गोरक्ष प्रांत मे सक्षम एन.जी.ओ. के तहत मैंने अपने तरफ से जितने दिव्यांग व्यक्ति मशरूम की खेती करना चाहते थे सभी के घर जाकर नि:शुल्क ट्रेनिंग दिया| क्षत्रिय एकता संघ की तरफ से गरीब सवर्णों को पूरे उत्तर प्रदेश में निःशुल्क ट्रेनिंग भी दिया एवं मशरूम प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण भी दिया|
मशरूम में उच्च प्रोटीन,कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, पोटैशियम, आयरन,विटामिन-डी,फास्फोरस,फोलिक एसिड आदि पाया जाता है| शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं तथा बहुत से रोगों की दवा भी मशरूम से बनाई जाती है|
मैं प्रसंस्करण द्वारा मशरूम का अचार, मुरब्बा, चटनी, बिस्किट, नमकीन, पापड़, बड़ी, फेसवाश, शैंपू, जैम, चाय-पत्ती, सूखा मशरूम, मशरूम पाउडर आदि अन्य प्रोडक्ट भी बनाता हूं।
प्रगतिशील किसान
स्वतंत्र सिंह।
आवास का सोनाडी ब्लाक भलुअनी जिला देवरिया

(निशुल्क ट्रेनिंग के लिए संपर्क करें)
आफिस का जागृति सेवा संस्थान राघव नगर देवरिया व विकास भवन गेट के पास सरस ईम्पोरियल
मो० नं०- 8948522099

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