पीलीभीत I 14 अप्रैल 2020 को बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की 129 वीं जयंती पर केवल भारत ही नहीं पूरा विश्व उनके द्वारा प्रदत्त मौलिक अवदानों के लिए उनका स्मरण कर कृतार्थ की अनुभूति महसूस कर रहा है। यद्यपि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहब के जीवन से •ाुड़े विभिन्न स्थलों को वैभवशाली स्मारक के रूप में संजोने का प्रयास किया है। पंचतीर्थ से विख्यात आंबेडकर स्थलअलीपुर रोड नई दिल्ली, महु स्थित जन्म स्थान, दीक्षा भूमि नागपुर, स्मारक निवास लंदन, चैत्य भूमि लंदन एवं उनके जन्मदिन 14 अप्रैल को समरसता दिवस व 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में स्थापित किया है। एक दशक पूर्व देश की औसत पीढ़ी उनके नाम से अपरिचित थी। उनका संज्ञान आंबेडकर के लिए संविधान निर्माता अथवा एक वर्ग विशेष के मसीहा के रूप में सीमित था कितु आज देश केलिए,शिक्षा, सरकारी उपक्रमों,संसद विधान सभा एवं निकायों में उनके लिए आरक्षण एवं विशेष कोष का प्रावधान किया। हिदू कोड बिल के द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु एक विवाह, संप्रति, उत्तराधिकार, समान वेतन, प्रसूति अवकाश, अंतरजातीय विवाह करने का अधिकार का प्रावधान किया। बाबा साहब सभी बीमारियों की जड़ अशिक्षा को मानते थे। आज अशांति के दौर में भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में उनके दर्शन की प्रासंगिकता परिलक्षित हो रही है।
-डॉ. गुरमीत राम, एसोसिएट प्रोफेसर
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