पीलीभीत। तीन दिन पहले पुराना जिला अस्पताल के क्वारंटीन वार्ड में इलाज के अभाव में फर्श पर तड़पकर महिला की मौत के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी डॉक्टरों की लापरवाही उजागर हो गई है। कोरोना का संक्रमण तो हुआ ही नहीं था, तेज बुखार से शरीर में सेप्टिसीमिया (इन्फेक्शन फैलने) होने से उसकी जान गई। यदि समय से इलाज मिल जाता तो महिला की जान बच सकती थी। अब स्वास्थ्य विभाग पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों से स्पष्टीकरण मांगने की खानापूरी करने में जुट गया है।
गजरौला थाना क्षेत्र के बिठौराकलां गांव की रहने वाली सुशीला देवी चार दिन से बुखार से ग्रसित थीं। बृहस्पतिवार को उनका देवर एंबूलेंस से जिला अस्पताल लेकर आया। यहां एंबुलेंस कर्मचारी महिला को कोरोना संक्रमित समझकर पहले आइसोलेशन वार्ड ले गए। फिर उसे अधिकारियों के कहने पर जिला अस्पताल लेकर आए। किसी डॉक्टर ने उसे देखने की जरूरत नहीं समझी। महिला 45 मिनट से ज्यादा समय तक फर्श पर पड़ी तड़पती रही। उसका देवर डॉक्टरों से अपनी भाभी का इलाज करने के लिए गुहार लगाता रहा। इसके बाद बिना जांच किए ही महिला को जिला अस्पताल ले गए। यहां इलाज के अभाव में महिला ने दम तोड़ दिया। शर्मनाक यह था कि देवर मदद को बुलाता रहा और डॉक्टर दूर रहो की रट लगाते रहे। मामले की शिकायत शासन स्तर तक पहुंची तो स्वास्थ्य विभाग के अफसर अपनी लापरवाही पर पर्दा डालकर कर्मचारियों को जांच के नाम पर नोटिस भेजकर खानापूरी में लग गए हैं। प्रशासनिक स्तर पर भी इस मामले में सीएमओ से जवाब तलब किया गया है। महिला की मौत का रहस्य सुलझाने के लिए शुक्रवार को शव का पोस्टमार्टम कराया गया था। उसकी रिपोर्ट मिलने पर मामला शरीर में इन्फेक्शन फैलने से मौत का निकला। जिस कोरोना के डर से डॉक्टरों ने उसका इलाज नहीं किया। बाद में उसकी कोरोना की जांच तक नहीं कराई गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला की मौत तेज बुखार में इन्फेक्शन फैलने से होने की पुष्टि हुई।
देवर, बेटी समेत तीन क्वारंटीन, गांव में छिड़काव
महिला की मौत भले ही कोरोना से नहीं हुई हो, लेकिन उसकी मौत के बाद हरकत में आए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने देवर, बेटी समेत परिवार के तीन सदस्यों को परीक्षण के बाद घर पर ही क्वारंटीन किया गया है। इसके अलावा बिठौराकलां गांव में सैनिटाइजर का छिड़काव कराया गया।
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