मुंबई के आरेमें पेड़ काटे जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला दिया है. यानी और पेड़ नहीं काटे जाएंगे. सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई नगर निकायों से पूछा है कि कितने पेड़ काटे गए हैं और उसके बदले में कितने नए पौधे लगाए गए हैं. साथ ही ये भी पूछा है इलाके में कितने पेड़ बचे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने तस्वीरें दिखाने की भी मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सिर्फ इतने ही क्षेत्र से नहीं बल्कि पूरे इलाके को देखना चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने मेट्रो और मुंबई कॉरपोरेशन से पूछा है कि क्या इस इलाके में कोई व्यावसायिक प्रोजेक्ट भी प्रस्तावित है? दरअसल याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि वहां पर और भी इमारतें बनाई जानी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फिलहाल मेट्रो कार शेड का प्रोजेक्ट जारी रह सकता है और इसके निर्माण पर रोक रोक नहीं है. मेट्रो के लिए पेश मुकुल रोहतगी ने कहा कि कुल 2600 पेड़ काटे गए थे और आगे कोई पेड़ नहीं काटे गए हैं. उन्होंने कहा कि 400 से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं और इतने ही ट्रांसप्लांट किए जाने हैं. रोहतगी ने साफ किया कि आरे कॉलोनी में कटाई सिर्फ मेट्रो कार शेड के लिए हुई और यहां कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं होगी. मुकुल रोहतगी ने मुंबई के लिए मेट्रो की जरूरत पर जोर देते हुए दिल्ली मेट्रो का उदाहरण दिया है. उन्होंने कहा कि जैसे दिल्ली में 67 लाख लोग मेट्रो में सफर करते हैं तो सात लाख वाहन सड़क से हट गए हैं. हालांकि जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा कि दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण भी बहुत ज्यादा है खासतौर पर सुप्रीम कोर्ट में. अब इस मामले में अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी. गौरतलब है कि आरे में मेट्रो कार शेड के लिए पेड़ काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले यथास्थिति का आदेश देते हुए कहा था कि फिलहाल किसी भी पेड़ को काटा नहीं जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा था कि आरे सरंक्षित वन क्षेत्र है या नहीं. उच्च अदालत ने एक कानून के छात्र रिशव रंजन द्वारा CJI को लिखे गए पत्र का संज्ञान लिया और इसे एक जनहित याचिका के रूप में माना था. इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट ने 4 अक्टूबर को आरे कॉलोनी को जंगल घोषित करने से इनकार कर दिया था और पेड़ काटने पर रोक लगाने से मना कर दिया था.
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