उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ 28 अगस्त को बहराइच पहुँचकर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए नवीन राजकीय मेडिकल कालेज का नाम करण किया। बहराइच में बने मेडिकल कालेज को उन्होंने महाराजा सुहेल देव मेडिकल कालेज का नाम दिया। साथ ही उन्होंने बहराइच जिला चिकित्सालय के नाम से जाना जाने वाले जिला अस्पताल का नाम भी बदल कर महार्षि बालार्क चिकित्सालय कर दिया। सवाल है उठता है की क्या बीजेपी सरकार धर्म विशेष का प्रचार करने के लिए ही सत्ता में आई है, क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्य का नाम, मात्र नाम बदलने के लिए ही जाना जायेगा? प्रदेश के मुखिया का जनपद में आगमन और फिर भी सड़कों पर पसरा सन्नाटा, ये बयां करने को काफी था कि जिले की आवाम सरकारी नीतियों से खुश नहीं? जिस भी रस्ते से मुख्यमंत्री मंत्री का गुजर हुआ उन सभी रास्तों को पूरी तरह से आम लोगो के लिए बंद कर दिया गया था। स्कूलों में ११ बजे ही छुट्टी करवा दी गई थी, सब्जी और फल के ठेलो को हटवा दिया गया था, रिक्शा व टेम्पो चालक कहीं न कही अपने वाहन के साथ गली कूचों में फसे थे। कुछ ने कहा अधिकारी अपनी कमी को छुपाने में लगे है इसी लिए सारे रास्तों को बंद कर दिया गया है। तो कुछ ने यह भी कहा कि यदि योगी जी जनता के दर्द को समझते तो उन्हें रास्तों पर पसरा सन्नाटा ये जरुर बताता की वह श्मशान या कब्रिस्तान में नहीं बल्कि जीवित लोगों बीच है। इन सबके बीच रिक्शा चला कर अपना परिवार चलाने वाले के दर्शन हुए जिसने कहा कि योगी जी नाम बदलए आए रहैं साथ मा अपनए परेशानियन का टोकरा लाए रहैं, धरम कय प्रचार न करत होतय तो दिखत उनका बगैर छत वालय स्कूल और जानत ऊ सर्व शिक्षा अभियान की हकीकत, दिखत उनका अस्पतालन मा मची लूट खसोट, और दिखत उनका शमसान और कब्रस्तान कए साथ-साथ पुराए प्रदेश की विद्धुत व्यवस्ता। बतातें चले कि जनपद के कई पत्रकारों को समारोह में कवरेज करने की परमिशन नहीं दी गई। शायद इसी लिए की वह उन सवालों को न उठा दे जिसका जवाब न तो अधिकारी और सीएम साहब देना पसंद करते है। आपको बता दें की सीएम योगी के दौरे के दौरान हमारी टीम की पड़ताल में ये पाया गया कि लगभग सभी विभागों में भागम भाग मची रही, दिखावे के कार्य किये गए सफाई व्यवस्था का ध्यान रखा गया। चिकित्सालय में मरीजों को अन्य सुविधाओं सहित बेडसीट भी बदली गई किन्तु सीएम के वापस होते ही शुरू हो गया पुराना खेल। हमारे सहयोगी राजकुमार गुप्ता की पड़ताल में ये पाया गया की भले ही मुख्यमंत्री के आगमन पर सड़के साफ रही हो, भले ही अस्पताल में बेडसीट तक का ध्यान रखा गया हो। किन्तु मुख्यमंत्री के जाते ही जनपद के पूरे के पूरे सिस्टम ने फिर पुराने रवैये को इख्त्यार कर लिया। अस्पताल में समय से डाक्टर नहीं पहुंचे कारण सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रेक्टिस तीमारदार प्राइवेट नर्सिंग होम का रास्ता अपनाने को मजबूर थे क्यूंकि समय पर पहुंचना योगी सरकार के डाक्टरों की आदत नहीं। ३१ अगस्त की शाम को ही एक ऐसी ही घटना सामने आई जहाँ डाक्टरों की लापरवाही से एक जान चली गई। पेट की समस्या से पीड़ित शख्स को डाक्टरों ने ढंग से देखा तक नहीं और उसे लखनऊ रेफर कर दिया। पीड़ित का परिवार उसे लेकर इधर-उधर भटकता रहा और कुछ समय बीतने के बाद उसकी मौत हो गई। सवाल उठता है कि क्या डॉक्टरों में इंसानियत खत्म हो चुकी है? कई सवाल है पर जवाब देने वाला शायद कोई नहीं।
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