सिद्धार्थनगर/खेसरहा। आज उसके पास पूछने को कई सवाल है,…खुद से,समाज से,सरकार से,और ऊपर बैठे उस भगवान से।
सवाल खुद से है कि उसकी जिंदगी इतनी बेरहम कैसे हो सकती है?
सवाल सरकार से है कि विकास की तरफ बढ़ रहे इस देश में उस जैसे अनाथ,बेसहारा लोगों का वजूद क्या है?
सवाल ऊपर वाले से भी है कि आख़िर उसकी जिंदगी में इतने थपेड़े क्यों लिख दिए?
जिंदगियां हर रोज छिन रही है और जिनके छिनने पर तकलीफें होती है।
पर कुछ जिंदगियाँ ऐसी होती है जिनके छिन जाने से एक बड़ी शून्यता पसर जाती है। ऐसी ही शून्यता उस अनाथ नाबालिक बच्चें के जिंदगी में भी पसर गयी है जो अभी कुछ दिन पहले अपने बड़े भाई के जिंदगी के टूटते धागे को जोड़ने के लिए जद्दोजहद कर रहा था।
जिसे वह जोड़ने में आज असफल हो गया। शायद जिंदगी की परीक्षा उसे अभी और देनी बाकी है।
जी हां मैं बात कर रहा हूं उस अनाथ बेसहारा,नाबालिक सर्वेश शुक्ल की कहानी।
आपको ज्ञात होगा सर्वेश शुक्ल के बड़े भाई चंद्रशेखर शुक्ल उर्फ़ टिंकू शुक्ल के बीमारी का प्रकरण, जिसे बेखौफ खबर लगातार उठा रहा था।
इस खबर के वायरल होने पर काफी लोगो ने कुछ धन दे कर अपना सहयोग दिया। जिससे टिंकू को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर इलाज के लिए ले जाया गया। किडनी के बीमार से जूझ रहे टिंकू का सोमवार की दोपहर के एक बजे मौत हो गई। डॉक्टर ने टिंकू के मामले में किडनी बदलने की बात कह रहे थे। जिसमें तकरीबन 15 से 20 लाख रुपये खर्च आने की सम्भवना व्यक्त कर रहे थे।
इतना बड़ा रकम इक्कठा करना उस नाबालिक बच्चे के लिए असंभव था।
आज अंत उसके सामने है। उसके जर्जर जिंदगी में एक बीमार भाई ही था जो उसे अपनेपन का अहसास दिला रहा था। आज वह भी अपना हाथ छुड़ा कर कही दूर चला गया।
पर जाते-जाते समाज और सरकार के सामने कई सवाल खड़ा कर के चला गया।
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