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Sunday, April 27, 2025 7:09:43 PM

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सिद्धार्थनगर। जहाँ से चले थे वही पहुँच गए, अनुदेशकों की छः साल की मेहनत बेकार।

सिद्धार्थनगर। जहाँ से चले थे वही पहुँच गए, अनुदेशकों की छः साल की मेहनत बेकार।
/ से बेखौफ खबर के लिए स्वतंत्र पत्रकार विकास शुक्ल की रिपोर्ट

सिद्धार्थनगर। सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्ष 2013 से जूनियर स्कूलों में काम रहे अनुदेशकों के मानदेय पर सरकार ने कैची चला दी है। 8470 रूपये मानदेय पाने वाले अनुदेशक अब 7000 रुपये मानदेय पाएंगे। राज्य परियोजना कार्यालय ने समग्र शिक्षा की गाइड लाइन के अनुसार 7000 रूपये मानदेय माह अप्रैल और मई का जारी कर दिया है। विगत 5 माह से अनुदेशकों को मानदेय का भुकतान नहीं हुवा है। अनुदेशक भुखमरी के कगार पर हैं। ऐसे में मात्र दो माह का मानदेय वो भी कटौती के साथ जारी करना कहा का न्याय है। माह जनवरी, फरवरी, मार्च के मानदेय का कही कोई पता नहीं है। इस बात को लेकर जनपद सहित पूरे प्रदेश के अनुदेशकों में रोष व्याप्त है।
ज्ञात हो की अनुदेशकों की नियुक्ति सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्ष 2013 में सरकार द्वारा पूर्ण नियमों के अनुसार हुई थी। लेकिन वर्तमान में अनुदेश मात्र हँसी का पात्र बनकर रह गया है। 7000 मासिक (233.33₹ रोज) इससे ज्यादा तो एक मजदूर की दिहाड़ी है। इतने कम मानदेय पर घर से 20 से 50 किलोमीटर दूर जाकर पढ़ाना और अपना परिवार भी पालना अनुदेशकों के लिए संभव नहीं है।
अनुदेशक जिलाध्यक्ष महेष्वरी पाठक और संतोष सिंहानिया का कहना है कि अनुदेशकों के मानदेय 17000 की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वयं अपने ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट करके किया था तथा तमाम अखबारों ने इसे प्रकाशित भी किया था। लेकिन आज 2 साल बीत जाने के बाद हमारा मानदेय 17000 तो दूर जो 8470 मिल रहा था उसे भी घटा कर 7000 कर दिया है। ये निर्णय गलत है हम इसकी घोर निंदा करते हैं। इस मामले पर हम आगे की रणनीति बना रहे है

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