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Friday, May 9, 2025 3:28:43 AM

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भारत और अमेरिका के बीच 6 सितंबर को होगी पहली 2+2 वार्ता, क्षेत्रीय विषयों पर भी होगी चर्चा

भारत और अमेरिका के बीच 6 सितंबर को होगी पहली 2+2 वार्ता, क्षेत्रीय विषयों पर भी होगी चर्चा

भारत और अमेरिका के बीच पहली 2+2 वार्ता 6 सितंबर को नई दिल्ली में हो रही है. इस बैठक के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉमपियो और रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस 5 तारीख की शाम भारत पहुंच रहे हैं. इसके अलावा उनके साथ अमेरिका के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ डनफोर्ड भी आ रहे हैं. वार्ता के लिए की तरफ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य अधिकारी मौजूद रहेंगे. वैश्विक रणनीतिक साझेदार भारत और अमेरिका के बीच यह 2+2 वार्ता इस वर्ष का उच्चतम राजनीतिक संपर्क है.निर्धारित वार्ता कार्यक्रम के मुताबिक गुरुवार सुबह 10 बजे पहले भारत और अमेरिका के रक्षा व विदेश मंत्री पहले पृथक द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. यह बैठक साऊथ ब्लॉक में रक्षा और विदेश मंत्रालयों में होगी. इसके बाद 11 बजे जवाहरलाल नेहरू भवन स्थिति विदेश मंत्रालय में चारों मंत्री एक साथ वार्ता की मेज पर मिलेंगे. इसके बाद मंत्रियों के बीच दोपहर भोज की टेबल पर चर्चा होनी है. शाम 4:30 चारों मंत्री संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. इस्लामाबाद से भारत पहुंच रहे पॉमपियो गुरुवार शाम ही वाशिंगटन रवाना हो जाएंगे. वहीं रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस शुक्रवार सुबह को लौटेंगे.सूत्रों के मुताबिक इस वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों और संयुक्त परियोजनाओं की समीक्षा के अलावा साझा रुचि के क्षेत्रीय विषयों पर चर्चा होगी. इसमें आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी, रक्षा सहयोग, प्रव्रजन(H1B वीज़ा) में भारतीय समुदाय से जुड़े विषय, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र आदि शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक विदेश मंत्री पॉमपियो इस्लामाबाद से भारत आएंगे ऐसे में सहज तौर पर हम जानना चाहेंगे कि पाकिस्तान की नई सरकार के संबंध में चर्चा करना चाहेंगे.रूस से शक्तिशाली S-400 मिसाइल का खरीद सौदा बीते कुछ समय से अमेरिका और भारत के रिश्तों में कांटा बन रहा है. बीते दिनों अमेरिकी रक्षा विभाग सूत्रों के हवाले से आई ख़बरों में कहा गया था कि रूस से हो रहे इस खरीद सौदे को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलने की कोई गारंटी नहीं है.हालांकि, उच्च पदस्थ भारतीय सूत्रों के मुताबिक S-400 मिसाइल खरीद सौदा भारत की ओर से 2+2 वार्ता के एजेंडा में नहीं है. अगर अमेरिका इस मुद्दे को उठता भी है तो भारत यह बताएगा कि किसी भी तीसरे देश के साथ हो रहा कारोबार और सम्बन्ध चर्चा का मुद्दा नहीं है. भारत और रूस के रिश्ते स्वतंत्र हैं.जहां तक CAATSA(Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) का सवाल है, यह अमेरिकी कांग्रेस का कानून है. अपने रणनीतिक साझेदारों के लिए समाधान का रास्ता निकलना अमेरिका का जिम्मेदार है.ईरान पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों की तैयारी के बीच तेहरान से भारत की तेल खरीद भी अमेरिका के साथ संबंधों की मुश्किलें बढ़ा रहा है. ऐसे में भारत और अमेरिका के बीच हो रही 2+2 वार्ता में यह मुद्दा भी प्रमुखता से उठने की उम्मीद है. हालांकि भारतीय खेमे के सूत्रों के मुताबिक नई दिल्ली इस मामले पर किसी अमेरिकी दबाव को मानने के मूड़ में नहीं है.उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर भारत की चिंताएं भी हैं और सवाल भी. भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों की 83% आयात करता है. इसमें से 25 फीसद तेल ईरान से खरीदता है भारत. लिहाज़ा एक झटके में इस आयत को बंद करना सम्भव नहीं है. ऐसे में भारत की यरफ से पूछा जाएगा की यदि अमेरिका ईरान से तेल खरीद पर रोक का आग्रह कर रहा है तो इसका विकल्प क्या है? वैकल्पिक स्रोत से खरीद की कीमत क्या है? भारत की चिंता इस बात कोलकर भी है कि उसकी अधिकतर रिफाइनरी ईरान से आयातित कच्चे तेल की प्रोसेसिंग के लिए मुफीद है. ऐसे में तत्काल कोई बदलाव करना सम्भव नहीं है.भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद को लेकर सहयोग काफी प्रभावी तरीके से आगे बढ़ रहा है. हाल में दोनों देशों के बीच आतंकवादियों को नामित करने के लिए पहली वार्ता हुई. सूत्रों के मुताबिक भारतीय आग्रह के बाद अमेरिका ने लश्कर-ए-तोयबा और जैश-ए-मोहम्मद के कई आतंकियों को नामित किया है. इसी तरह ने भी अल-कायदा और आईएसआईएस खुरासान समूह को प्रतिबंधित किया है जिसको लेकर अमेरिका की भे चिंताएं हैं. भारत अन्य कई आतंकियों को भी नामित करने पर विचार के मुद्दे पर भी 2+2 वार्ता में अमेरिका से बातचीत आगे बढ़ाएगा.सूत्रों के मुताबिक इस फाउंडेशन एग्रीमेंट, उच्च तकनीकी निर्यात के लिए ज़रूरी अमेरिकी कानून के मुताबिक ज़रूरी सामझौते को लेकर बात होगी. हालांकि अभी यह कहना संबहव नहीं है कि क्या इस वार्ता में ही यह समझौता मुकम्मल हो जाएगा.महत्वपूर्ण है कि इस समझौते को लेकर अब भी भारत और अमेरिका के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं. भारत की कोशिश होगी कि संचार साझेदारी और तालमेल सुनिश्चित करने वाले इस सामझौते में वो बंधन के धागों को ढीला कर सके.

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