पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों की नाराज़गी के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रोग्राम में शिरकत करने नागपुर पहुंचे हैं. आज प्रणब मुखर्जी नागपुर में संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास करने वाले कार्यकर्ताओं को संबोधित करने वाले हैं. इस बीच पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उन्हें संघ को लेकर नसीहत दी है. शर्मिष्ठा ने अपने पिता को आगाह करते हुए कहा,”आरएसएस आपका गलत इस्तेमाल कर सकता है.”शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बुधवार को एक के बाद एक तीन ट्वीट किए. उन्होंने लिखा,”उम्मीद है आज कि घटना के बाद प्रणब मुखर्जी इस बात को मानेंगे कि बीजेपी किस हद तक गंदा खेल सकती है. यहां तक कि आरएसएस भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे.”पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा ने लिखा,”भाषण तो भुला दिया जाएगा, लेकिन तस्वीरें बनी रहेंगी और उनको नकली बयानों के साथ प्रसारित किया जाएगा.”बता दें कि इसके पहले ऐसी खबरें भी चर्चा में थीं कि शर्मिष्ठा बीजेपी से जुड़ सकती हैं. हालांकि, शर्मिष्ठा ने इन खबरों को महज़ अफवाह करार दिया है.बता दें कि आरएसएस ने जब से प्रणब मुखर्जी को अपने प्रोग्राम का न्योता दिया है. तब से इस मसले पर बहस छिड़ी है. इस फैसले से कांग्रेस पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई. चिदंबरम, जयरमेश समेत तमाम कांग्रेसी इस पर अपनी आपत्ति जाहिर कर चुके हैं. इन नेताओं ने प्रणब को चिट्ठी लिखकर उनसे आरएसएस के प्रोग्राम में शामिल न होने की अपील भी की है.हालांकि, इन विवादों पर चुप्पी तोड़ते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा था कि वो क्या बोलेंगे और क्या करेंगे, इसका फैसला सिर्फ उनका है. वह नागपुर में 7 जून को जवाब देंगे. उन्होंने कहा था, ‘मुझे जो बोलना होगा, मैं वहीं बोलूंगा. और नागपुर में जाकर ही बोलूंगा. मेरे पास कई चिट्ठियां और फोन कॉल आए हैं. मैंने किसी का जवाब नहीं दिया.’उधर, RSS के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने प्रणब मुखर्जी के फैसले का स्वागत किया है. एक अखबार में लिखे अपने लेख में उन्होंने कहा, ‘नागपुर में स्वागत है प्रणब दा.’ उन्होंने लिखा है कि मुखर्जी के इवेंट में शामिल होने को लेकर कांग्रेस को परेशानी है, लेकिन RSS कैडर के बीच कांग्रेस से लंबे समय तक जुड़े रहे नेता को आमंत्रित करने में हमें कोई दिक्कत नहीं है.- ये सालाना प्रशिक्षण शिविर है, जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ हर साल करता है. ये तीसरे साल के स्वयंसेवकों के लिए होता है. इससे पहले पहले साल और दूसरे साल के स्वयंसेवकों का कैंप भी होता है जो प्रांत और क्षेत्र आधार पर आयोजित किया जाता है. पहले साल के स्वयंसेवकों का शिविर 20 दिनों का होता है और संघ के 42 प्रांत ईकाइयों में होता है. दूसरे साल के स्वयंसेवकों के लिए ट्रेनिंग कैंप क्षेत्रीय आधार पर लगते हैं. ये भी 20 दिनों के होते हैं. लेकिन तीसरे साल के स्वयंसेवकों का कैंप नागपुर में ही होता है. हालांकि, पहले और दूसरे साल के कैंप में शामिल होने वाली लिस्ट जिला स्तर पर कई आधार पर छांटकर तैयार की जाती है.25 दिन का ये प्रोग्राम अप्रैल मई में होता है जब नागपुर में काफी गर्मियां पड़ रही होती हैं. तापमान आमतौर पर 45 डिग्री सेंटीग्रेड को छूता है. ये ट्रेनिंग काफी कठिन होती है और इसका रूटीन बहुत कड़ा होता है. स्वयंसेवकों को सुबह चार बजे उठना होता है. रात 10.30 बजे सोने का समय होता है. इस दौरान उन्हें केवल एक ब्रेक मिलता है- वो एक घंटे का होता है.सामान्य तौर पर सुबह के पहले दो घंटे का समय शारीरिक अभ्यास का होता है, जिसमें कई तरह की ड्रिलिंग. शस्त्ररहित कलाएं, जूडो, कराटे और दंडयुद्ध करना होता है. दिन के प्रोग्राम में अलग अलग ग्रुप के साथ दो मीटिंग्स होती हैं. रोज एक संयुक्त सत्र भी होता है, जिसे बौद्धिकी कहा जाता है.RSS के प्रोग्राम में पिछले कुछ सालों के मुख्य अतिथि
2010 – जेपी राजखोवा (आसाम के पूर्व मुख्य सचिव)
2011 – डॉ गंगा राजू (विजयवाडा के उद्योगपति)
2012- अश्विनी कुमार (पंजाब केसरी ग्रुप)
2013- श्रीश्रीश्री निर्मलानंदानाथ महास्वामी (आदिचुंगचंगारी मठ, कर्नाटक के प्रमुख)
2014- श्रीश्री रविशंकर (आध्यात्मिक गुरु)
2015-डी वीरेंद्र हेगडे (धर्माधिकारी, धर्मस्थल मंदिर, कर्नाटक)
2016 – रंतिदेव सेनगुप्ता (बंगाल के वरिष्ठ पत्रकार)
2017 – जनरल रुकमंगुड कटवाल (पूर्व नेपाल आर्मी प्रमुख)
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