रिपोर्ट : डी.पी. श्रीवास्तव
बहराइच।भू_माफिया गब्बर सिंह के मुश्किलों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गत दिनों जिला चिकित्सालय के पूर्व सी एम एस डॉ डीके सिंह के द्वारा भी देवेंद्र प्रताप सिंह और गब्बर सिंह सहित कई अन्य पर अपनी जमीन हड़पने का मुकदमा दर्ज करवाया गया था,और बीते चंद दिनों के बाद ही गब्बर पर दर्ज हुए एक और मुकदमे से लगातार उनकी मुश्किलें बढ़ती जा रही है।
मालूम हो कि गत दिनों वादी दिनेश कुमार पाठक के लेनदेन के एक मामले में अपराध संख्या 259/2021 धारा 406,420,506 भारतीय दंड संहिता 2/3 लोक संपत्ति अधिनियम थाना देहात कोतवाली में दर्ज एक प्रकरण में जहां सक्षम न्यायालय के विद्वान जज द्वारा गब्बर के वकील द्वारा प्रस्तुत जमानत याचिका को निरस्त कर दिया गया वहीं सुधा मातनहेलिया पत्नी अरुण मातनहेलिया के द्वारा की गई एक और शिकायत के मामले में दर्ज मुकदमा पुनः चर्चा का विषय बन गया है। श्रीमती सुधा द्वारा प्रस्तुत आरोप में बताया गया है कि १_अनुज कुमार मातन हेलिया पुत्र स्वर्गीय कैलाश नाथ मातनहेलिया,२_देवेंद्र प्रताप सिंह उर्फ गब्बर सिंह पुत्र स्वर्गीय रामपाल सिंह, ३_विनोद कुमार जायसवाल पुत्र रामसेवक वा ४_ मनीष कुमार जायसवाल पुत्र स्वर्गीय ओम प्रकाश जायसवाल भू_माफिया प्रवृति के लोग हैं,अपराध जगत में विपक्षी लोगों द्वारा अरबों की संपत्ति अर्जित की गई है। जिनका बड़ा अपराधिक इतिहास भी रहा है।जिन्होंने साजिश करके मेरे पति अरुण कुमार मातनहेलिया को जबरिया बलपूर्वक मारपीट कर व जान से मार डालने और मृत्यु का भय दिखाकर अभिलेखों में हेराफेरी करके करोड़ों रुपए की संपत्ति विपक्षी संख्या 3 वा 4 ने शहर की बेशकीमती जमीन व गोदाम जो सरकारी अभिलेखों में भी दर्ज है बैनामा करवा लिया। जिसकी जानकारी पीड़िता को विपक्षी संख्या 2 वा 4 के जेल जाने के बाद हो सकी विपक्षी संख्या 3/4 ने बैनामा करा कर जिसकी कीमत लगभग दो करोड़ रुपए से ऊपर थी सारे पैसों को हड़प लिया गया।जिसमें श्रीमती सुधा द्वारा रिश्ते में उनके जेठ लग रहे व करोड़ों के संपत्ति के मालिक अनुज मतनहेलिया पर भी लाखों रुपए हड़पने का आरोप लगाया गया है।जिसके आधार पर दिनांक 08. 07. 2022 को थाना नगर कोतवाली में भारतीय दंड संहिता की धारा 504, 506,,342, 386, 420, 467,468, 471 व 120_B के तहत मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया लेकिन आज भी लोगों के मन में यही सवाल दौड़ रहा है कि गब्बर के खिलाफ अब तक गैंगेस्टर के तहत कार्यवाही को अंजाम क्यों नहीं दिया गया?
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