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Wednesday, May 14, 2025 11:46:06 PM

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सरकार की याचिका में प्रभावी पैरवी पर 47 वर्षों बाद एफ.आई.आर.

सरकार की याचिका में प्रभावी पैरवी पर 47 वर्षों बाद एफ.आई.आर.

डीएम के नेतृत्व में वन, राजस्व व चकबन्दी विभाग का प्रयास लाया रंग

बहराइच 16 अप्रैल। प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट आकाशदीप बधावन ने बताया कि कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बहराइच में वन विभाग की जमीन को हड़पने के लिए 70 वर्षों से किए जा रहे प्रयास को विफल कर वन विभाग द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गइ है।

उल्लेखनीय है कि यह जमीन भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 20 एवं वन जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 18 व 38वी से आच्छादित बाघ संरक्षित क्षेत्र का कोर क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट है। भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 20 के तहत 342 एकड़ जमीन नोटिफाइड है जिसमें बहुमूल्य राजकीय संपत्ति के रूप में लगे वर्षाे पुराने वृक्षों जिसकी कीमत 200 करोड़ बताई जा रही है और कुल जमीन लगभग 83 बीघा है। विक्रेताओं द्वारा जाली और फर्जी एवं कूट रचित तरीके से बहुमूल्य संपत्ति सरकारी कागजों में हेराफेरी कर हासिल की गई थी।

डीएफओ ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय में योजित याचिका में प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट द्वारा प्रभावी पैरवी की जाती रही जिसकी वजह से जिलाधिकारी बहराइच की अध्यक्षता में गठित टीम की रिपोर्ट दिनांक 12 मई 2022 द्वारा जांच की गई तो आराजी गाटा संख्या 18 और 34 इत्यादि रकबा 16.530 एकड़ अर्थात् 6.691 हेक्टेयर वन विभाग के संरक्षण में पाया गया जो वनभूमि है तथा विपक्षी का नाम फर्जी प्रविष्टि के आधार पर अभिलेखों में दर्ज किया जाना पाया गया।

ज्ञातव्य हो कि विक्रेता अलविना अहमद व अमित चौहान द्वारा बहुमूल्य राजकीय संपत्ति अपने नाम दर्ज करा ली गई थी। ऊपरिवर्णित गाटा संख्या पर आज भी वन विभाग उत्तर प्रदेश का कब्जा और दखल चला आ रहा है तथा बहुमूल्य एवं प्रतिबंधित वनोत्पाद साल, सागौन आदि के सैकड़ों वर्ष पुराने वृक्ष लगे हैं। ऊपरिवर्णित भूमि बाघ संरक्षित सेंचुरी क्षेत्र रेंज निशानगाढ़ा थाना सुजौली कर्तनियाघाट वन्यजीव प्रभाग बहराइच की वनभूमि है तथा राजकीय संपत्ति है।

उक्त वनभूमि को कूटरचित तरीके से राजस्व अभिलेखों में हेरा फेरी करके हासिल किए जाने के संबंध में प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट द्वारा जिलाधिकारी बहराइच डॉ. दिनेश चन्द्र के संज्ञान में लाया गया जिसके क्रम में जिलाधिकारी द्वारा प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए राजस्व अभिलेखों यथा चकबंदी बस्ता कर्मचारी सहित पूर्ण सुरक्षा के साथ राजस्व अभिलेखों के अनुश्रवण हेतु उच्च न्यायालय खण्ड पीठ लखनऊ के स्थाई अधिवक्ता के पास भेजा गया।

इसी क्रम में प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट द्वारा प्रकरण की प्रभावी पैरवी हेतु केस में आबद्ध स्थाई अधिवक्ता/मुख्य स्थाई अधिवक्ता/अपर महाधिवक्ता के समक्ष उपस्थित होकर प्रकरण को विभागीय अभिलेखों, नोटिफिकेशन एवं राजस्व अभिलेखों के आधार पर ब्रीफ किया गया तथा उसके सापेक्ष में अभिलेख प्रस्तुत किए गए। इस प्रकार कूटरचित तरीके से राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कर वनभूमि को हड़पने के प्रयास को जिलाधिकारी बहराइच के कुशल निर्देशन में वन विभाग, राजस्व विभाग एवं चकबंदी विभाग के आपसी सहयोग व संयुक्त प्रयास से विफल कर दिया गया तथा वनभूमि को हड़पने का प्रयास करने वाले समस्त व्यक्तियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

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