Breaking News

आवश्यकता है “बेखौफ खबर” हिन्दी वेब न्यूज़ चैनल को रिपोटर्स और विज्ञापन प्रतिनिधियों की इच्छुक व्यक्ति जुड़ने के लिए सम्पर्क करे –Email : [email protected] , [email protected] whatsapp : 9451304748 * निःशुल्क ज्वाइनिंग शुरू * १- आपको मिलेगा खबरों को तुरंत लाइव करने के लिए user id /password * २- आपकी बेस्ट रिपोर्ट पर मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ३- आपकी रिपोर्ट पर दर्शक हिट्स के अनुसार भी मिलेगी प्रोत्साहन धनराशि * ४- आपकी रिपोर्ट पर होगा आपका फोटो और नाम *५- विज्ञापन पर मिलेगा 50 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि *जल्द ही आपकी टेलीविजन स्क्रीन पर होंगी हमारी टीम की “स्पेशल रिपोर्ट”

Monday, April 28, 2025 4:21:08 AM

वीडियो देखें

जिलाधिकारी के एफआईआर आदेश पर विभागीय भ्रष्टाचारियों ने थानाध्यक्ष रामगांव को भी कर दिया गुमराह

जिलाधिकारी के एफआईआर आदेश पर विभागीय भ्रष्टाचारियों ने थानाध्यक्ष रामगांव को भी कर दिया गुमराह

रिपोर्ट : डी. पी.श्रीवास्तव/मनोज शर्मा

 

 

बहराइच । वर्तमान समय में मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार व अपराध पर जीरो टॉलरेंस की पद्धति को साकार करते हुए धरातल पर कठोर कार्रवाई करने के लिए बहराइच के साथ साथ आसपास के जिलों तक चर्चा का विषय बनी जिलाधिकारी मोनिका रानी के द्वारा एआरटीओ कार्यालय में चरम सीमा पर हो रही दलाली को लेकर छपी एक खबर का तत्काल संज्ञान लेते हुए सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी को तलब कर उक्त दलाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए थे।लेकिन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों ने डीएम के निर्देश में भी दांवपेंच कर बड़ा खेल कर दिया गया।

मालूम हो कि जब उक्त प्रकरण को लेकर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी राजीव कुमार से कार्यालय जाकर मिलने की कोशिश की गई तो विभाग से पता चला कि वे छुट्टी लेकर अपने घर गए हैं।तत्पश्चात उक्त मामले की जानकारी को लेकर जब प्रधान सहायक अतीक उल्ला खान से हमारे जिला प्रभारी द्वारा मुलाकात कर मामला जानने की कोशिश की गई तो श्री खान द्वारा बताया गया कि यहां तो छापे कई बार पड़ चुके हैं।लेकिन जब उनसे पूछा गया कि डीएम के द्वारा एफआईआर हेतु दिए गए आदेश का क्या हुआ? एफआईआर दर्ज हुई या नहीं?तो बताया कि एप्लीकेशन 8_10 दिनों से थाना रामगांव में है।जब उनसे पूछा गया कि 10 दिनों में अब तक एफआई आर क्यों नहीं दर्ज हुई? तो उसका कोई सार्थक उत्तर वे नहीं दे सके।और अधिक जानकारी के लिए श्री कुमार से मिलने की बात बताई। लेकिन उक्त मामले में सबसे बड़ा खेल करते हुवे थाना प्रभारी रामगांव को भी गुमराह करते हुवे सुशील कुमार स्वर्णकार,प्रभारी लाइसेंस विभाग व अतीक उल्ला खान लाइसेंस विभाग द्वारा संयुक्त रूप से पत्रांक संख्या 964 के क्रम में एफआईआर हेतु दिए गए पत्र में सफेद झूठ बोलते हुवे ज्ञात दलाल को अज्ञात व्यक्ति बताया गया और सरकारी कुर्सी पर बैठे हुवे व्यक्ति को स्टोर में खड़ा हुआ व्यक्ति बताया गया। जिससे प्रतीत होता है कि उक्त लोगों को जिलाधिकारी का भी खौफ नहीं है।शायद इसीलिए ड्रामा रचित रूप से थाने में प्रार्थना पत्र दिया गया।लेकिन यहां बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर झूठ क्यों बोला गया?ऐसे संवेदनशील खुलासे पर आखिर उक्त द्वारा थाना प्रभारी को गुमराह करने की कोशिश क्यों की गई? इनके सफेद झूठ पर क्या इनके ऊपर कारवाई नहीं की जानी चाहिए?और तो और उनकी नजरों में वही ज्ञात से अज्ञात बना व्यक्ति( दलाल )एक बार फिर जिला अधिकारी के फरमान को खुली चुनौती देते हुवे फिर से सरकारी कुर्सी पर बैठने लगा।जिस बात को अतीक उल्ला भी स्वीकार कर चुके हैं।जबकि उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने हेतु थाने में मामला लंबित है।मानो विभागीय लोग ही दलाल का समर्थन करते नजर आ रहे हैं।विश्वसनीय सूत्रों का कहना है की यदि अतीक उल्ला की संपत्ति की जांच हो जाय तो शायद बाबा का बुल्डोजर इनके द्वारा बनाई गई अवैध संपत्तियों पर भी चल जाए।सुख सुविधाओं से लैस सिर्फ इनका घर ही करोड़ों रुपयों में बताया जा रहा है।आखिर उनके पीछे वे कौन से सफेदपोश लोग हैं जिन्हें जिला अधिकारी के आदेश का भी खौफ नहीं रहा।जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री का भी सीधा फरमान है कि किसी भी सरकारी विभाग में प्राइवेट लोग कार्य करते न देखे जाएं बावजूद एआरटीओ कार्यालय कोआखिर दलालों का अड्डा बनने का ठप्पा वर्षों से क्यों नहीं मिट पा रहा है?आखिर दलाल किसके दम पर यह बात कह रहें है कि अब सपा की सरकार नहीं है अब भाजपा की सरकार है। तुम मेरे खिलाफ एक एफ आई आर लिखवाओगे तो हम चार लिखवाएंगे। क्या इस बात को मान लिया जाए कि प्रदेश के ईमानदार क्षवि के मुख्यमंत्री के पीठ पीछे सत्ता पक्ष के ही कुछ लोग उनकी क्षवि को धूमिल करने में लगे हुवे हैं?जिस बात का खामियाजा सरकार को लोकसभा चुनाव में देखने को मिल भी चुका है।आखिर दलालों को इतनी हिम्मत कहां से आ रही है?क्या यह जांच का विषय नहीं है?फिलहाल उक्त मामले में अब आगे क्या कार्रवाई की जाती है यह अभी समय के गर्भ में है।क्या विभागीय लोगों पर भी जिलाधिकारी की गाज गिर सकती है?इसका भी इंतजार करना होगा।

व्हाट्सएप पर शेयर करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *