बहराइच, उत्तर प्रदेश: बहराइच के 15 वर्षीय युवा साहित्यकार कामरान को 09 जनवरी 2025 को विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में ऑनलाइन माध्यम से “विश्व हिंदी गौरव सम्मान 2025” से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उन्हें हिंदी भाषा के उत्थान और उसके प्रचार-प्रसार में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया। कामरान की लेखनी ने समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करते हुए हिंदी भाषा को एक नई पहचान दी है। इस सम्मान ने उनकी साहित्यिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित किया है और यह हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कामरान, जो वर्तमान में जवाहर लाल राष्ट्रीय इंटर कॉलेज नवाबगंज (बहराइच) में कक्षा 9 के छात्र हैं, अपनी शिक्षा के साथ-साथ साहित्यिक गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। उनके लेखन का हर पहलू समाज की समस्याओं और चुनौतियों को व्यक्त करता है, और यह उनकी गहरी सोच और संवेदनशीलता का परिणाम है। उनके लेखन न केवल साहित्यिक मानकों को स्थापित करते हैं, बल्कि वे हिंदी भाषा को एक नया दिशा और ऊर्जा प्रदान करते हैं।
यह सम्मान ऑनलाइन माध्यम से भावना कला एवं साहित्य फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था। इस ऑनलाइन सम्मान समारोह में विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं और समूहों ने भाग लिया, जिनमें “साहित्य दर्पण”, “साहित्य के अमूल्य रत्न” जैसे प्रतिष्ठित साहित्यिक संगठन शामिल थे। कामरान की कृतियों की सराहना करते हुए सम्मान पत्र में उनके साहित्यिक योगदान और हिंदी के प्रति उनके समर्पण की विशेष रूप से प्रशंसा की गई।
कामरान का लेखन समाज में व्याप्त असमानताओं, उत्पीड़न, और संघर्षों के खिलाफ एक मजबूत आवाज बनकर उभरा है। उनकी कविताओं में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकार जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाया गया है। वे मानते हैं कि साहित्य केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज में जागरूकता और परिवर्तन लाने का एक शक्तिशाली माध्यम है। यही कारण है कि उनके लेखन ने पाठकों को न केवल साहित्य का आनंद दिया है, बल्कि उन्हें समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने और बदलाव लाने की प्रेरणा भी दी है।
सम्मान प्राप्त करने के बाद, कामरान ने इस सम्मान को एक प्रेरणा के रूप में स्वीकार किया और इसे अपने लेखन की दिशा में एक और मील का पत्थर बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह सम्मान उनके लिए एक विशेष प्रेरणा का स्रोत है और यह उन्हें अपने साहित्यिक कार्यों को और बेहतर बनाने के लिए उत्साहित करता है। उन्होंने भविष्य में और भी अधिक काव्य रचनाएँ और साहित्यिक कार्य करने का संकल्प लिया, जो समाज में सकारात्मक बदलाव ला सके।
कामरान के विचार में, “हिंदी भाषा केवल एक माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और समाज की आत्मा है। इस सम्मान ने मुझे यह सिखाया है कि हिंदी के माध्यम से हम न केवल साहित्य की दुनिया में अपना स्थान बना सकते हैं, बल्कि हम समाज में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।” उनका मानना है कि उनकी लेखनी को मिली यह पहचान अन्य युवा लेखकों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है कि वे अपने शब्दों और विचारों के माध्यम से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में काम करें।
कामरान के लिए यह सम्मान केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह हिंदी भाषा को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। वे इस सम्मान को एक जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार करते हैं और उनका यह मानना है कि युवा लेखकों को चाहिए कि वे अपनी लेखनी के माध्यम से हिंदी साहित्य को समृद्ध करें और उसकी गरिमा को बनाए रखें।
कामरान का लेखन हर आयु और वर्ग के पाठकों को प्रेरित करता है। उनका उद्देश्य न केवल हिंदी भाषा के उत्थान में योगदान देना है, बल्कि वह हिंदी को वैश्विक मंच पर स्थापित करने के लिए भी निरंतर प्रयासरत हैं। वे मानते हैं कि हिंदी साहित्य को व्यापक रूप से फैलाने के लिए जरूरी है कि हम इसे आधुनिक संदर्भों में प्रस्तुत करें ताकि यह नई पीढ़ी से जुड़ सके। उनका लेखन इस दिशा में अहम भूमिका निभा रहा है, और उनकी आगे की साहित्यिक यात्रा को लेकर उम्मीदें बहुत अधिक हैं।
इस सम्मान ने कामरान को और अधिक उत्कृष्ट कार्य करने की प्रेरणा दी है, और उन्होंने भविष्य में हिंदी साहित्य के क्षेत्र में और भी योगदान देने का वादा किया है। हिंदी साहित्य में युवा लेखकों की यह नई पीढ़ी अपने कार्यों से यह साबित कर रही है कि हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह एक संस्कृति, एक भावना और एक साझा पहचान है, जिसे हमें गर्व के साथ प्रस्तुत करना चाहिए।
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