मकर संक्रांति पर साहित्यकारों ने उड़ाईं सद्भावना की पतंगें
आसमान में छोड़े शान्ति के प्रतीक कबूतर
विकल्प जन सांस्कृतिक मंच की ओर से सृजन सद्भावना काव्य गोष्ठी आयोजित
कोटा। कोटा के मशहूर शायर और विकल्प जन सांस्कृतिक मंच के सचिव शकूर अनवर के शिवपुरा स्थित आवास पर पिछले दो दशकों से निरन्तर आयोजित “सृजन सद्भावना काव्य गोष्ठी समारोह” में कोटा अंचल के हिन्दी, उर्दू और हाड़ौती के कवि तथा शायर बड़ी संख्या में एकत्रित हुए। साहित्यकारों के साथ मेजबान शकूर अनवर के परिजनों ने समारोह की शुरुआत करते हुआ सद्भावना की प्रतीक पतंगें उड़ाईं और शान्ति के प्रतीक कबूतर खुले आसमान में छोड़े।
मुख्य अतिथि अंबिका दत्त ने कहा कि संक्रांति केवल एक भौगोलिक परिघटना नहीं अपितु एक सांस्कृतिक सामाजिक उत्सव भी है, जो सभी धर्मों से ऊपर है। इसमें क्रान्ति का संदेश छुपा हुआ है। शरद तैलंग ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यह गोष्ठी केवल शकूर अनवर के भाईचारे की उम्मीदों तक सीमित नहीं समूचे भारत और दुनिया के इंसाफ और शान्ति चाहने वालों की आवाज है।
काव्य गोष्ठी का प्रारंभ आनंद हजारी, नारायण शर्मा, सपना मीणा और गयास फ़ाइज की संक्रान्ति के उत्सव और मौसम के बदलाव पर केंद्रित कविताओं से हुआ। शायर अहमद सिराज फारुकी, डॉ. शबाना सहर, बद्रीलाल दिव्य, सीमा तबस्सुम, दिनेश राय द्विवेदी, अतहर उज्जैनी, सलाम हैरत, फानी जोधपुरी, वेद प्रकाश प्रकास, महेन्द्र नेह, किशन वर्मा, रघुराज सिंह कर्मयोगी, केसी राजपूत ने वर्तमान दौर में प्रेम और परिवर्तन पर केंद्रित कविताएं सुनाईं। समारोह में शकूर अनवर के ताजा दोहा संग्रह नया सवेरा का लोकार्पण भी किया गया। डॉ. जेबा फिज़ा ने अपनी ग़ज़ल में पतंग को आज के हालात से जोड़ने और शकूर अनवर ने उनकी लोकार्पित पुस्तिका नया सवेरा से बेहतरीन दोहे सुना कर गोष्ठी को बुलंदी तक पहुंचाया।
समारोह की अध्यक्षता शरद तैलंग ने की। मुख्य अतिथि अंबिका दत्त, विशिष्ट अतिथि फ़ानी जोधपुरी, सलाम हयात रहे। काव्य गोष्ठी का संचालन हलीम आईना ने किया। विकल्प के अध्यक्ष किशन लाल वर्मा ने अतिथि साहित्यकारों का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि यह गोष्ठी समाज में आपसी सद्भाव और भाईचारा विकसित करने में अपनी भूमिका निभा2एगी।
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