दिल्ली। हिन्दी साहित्य और संस्कृति की पत्रिका बनास जन ने विख्यात आलोचक प्रो नवल किशोर की स्मृति में आलोचना सम्मान की घोषणा कर दी है। बनास जन द्वारा जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि पिछले वर्ष से प्रारम्भ हुआ यह सम्मान इस वर्ष दिल्ली विश्वविद्यालय के युवा अध्येता असीम अग्रवाल को उनके विनिबंध ‘शैलेश मटियानी की कहानियाँ : संवेदना के विविध पक्ष’ पर दिया जाएगा। सम्मान के लिए गठित निर्णायक समिति के सदस्यों प्रो दुर्गाप्रसाद अग्रवाल (जयपुर), प्रो माधव हाड़ा (उदयपुर) और संयोजक प्रो मलय पानेरी (उदयपुर) ने सर्वसम्मति से असीम अग्रवाल की पांडुलिपि का चयन किया। बनास जन द्वारा उक्त विनिबंध का स्वतंत्र अंक के रूप में प्रकाशन किया जाएगा तथा सम्मान राशि भी भेंट की जाएगी।
सम्प्रति दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित हंसराज कॉलेज में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्यरत डॉ असीम अग्रवाल का जन्म 24 नवम्बर 1995 को अमरोहा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। हिन्दू कालेज, दिल्ली से स्नातक तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर के बाद उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से प्रो विनोद तिवारी के निर्देशन में पीएच.डी की उपाधि ग्रहण की। शैलेश मटियानी पर उनके विनिबंध पर अपनी संस्तुति में प्रो दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि नयी कहानी के अपनी ढंग के अलहदा कथाकार मटियानी का अध्ययन इस दृष्टि महत्त्वपूर्ण है कि यह हिंदी कहानी की व्यापकता और गहराई को भी दर्शाता है जो पहाड़ से रेगिस्तान और समुद्र से मैदान तक के भारतीय जीवन को प्रतिबिंबित करती है। प्रो हाड़ा ने अपनी संस्तुति में कहा कि असीम का विनिबंध कहानी अध्ययन के क्षेत्र में गंभीर और जिम्मेदार आलोचना का परिचय देता है।
उक्त सम्मान के लिए परामर्श समिति के संयोजक और श्रमजीवी कालेज, उदयपुर में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो मलय पानेरी ने बताया कि आलोचना के क्षेत्र में अपने अविस्मरणीय योगदान के लिए प्रो नवलकिशोर को जाना जाता है। उनकी स्मृति को स्थाई रखने के लिए यह सम्मान प्रारम्भ किया गया है जिससे देश भर के युवा अध्येताओं को भी नया मंच मिल सकेगा।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






