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Friday, May 9, 2025 12:01:02 AM

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धरना स्थल पर मनाई कार्ल मार्क्स की 207 वीं जयंती

धरना स्थल पर मनाई कार्ल मार्क्स की 207 वीं जयंती

बकाया भुगतान की मांग को लेकर 77 वें दिन भी जारी रहा जेके मजदूरों का धरना

कोटा/ इटावा। बकाया वेतन भुगतान और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराने की मांग को लेकर 18 फरवरी से धरने पर बैठे जेके फैक्ट्री के मजदूरों ने धरने के 77 वें दिन सोमवार को महान क्रन्तिकारी योद्धा कार्ल मार्क्स का 207 वां जन्मदिन मनाया। मजदूरों ने धरना स्थल पर उनके जीवन संघर्षों को याद करते हुए क्रान्तिकारी सलामी दी।
सीटू मीडिया प्रभारी मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि कार्ल मार्क्स का जन्म 1818 ईस्वी को जर्मनी में आज के ही दिन हुआ था। उन्होंने समाजवाद की स्थापना के लिए अनेक संघर्ष किए। कार्ल मार्क्स ने दुनिया भर के मेहनतकशों को संघर्ष का रास्ता सुझाया था। उसी रास्ते पर चलते हुए जेके फैक्ट्री के मजदूर शोषण करने वाली पूंजीवादी, सम्राज्यवादी और फासीवादी ताकतों के खिलाफ 77 दिन से अपना बकाया वेतन पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
मजदूर नेता कामरेड हबीब खान, कामरेड नरेंद्र सिंह, कामरेड उमाशंकर ने बताया कि जेके के मजदूरों और सीटू के मजदूर नेताओं ने कोटा कलेक्ट्रेट पर महान क्रान्तिकारी योद्धा कार्ल मार्क्स का 207 वां जन्मदिन मनाया। सभी साथियों ने मार्क्स को उनके जन्मदिन पर सलामी दी। धरने को सम्बोधित करते हुए मदन मोहन शर्मा ने कार्ल मार्क्स के जन्म दिवस पर अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने बताया कि 5 मई 1818 को जर्मनी में कार्ल मार्क्स का जन्म हुआ था। मार्क्स ने समाज का गहराई से अध्ययन किया और पूंजीपति किस प्रकार से मजदूरों का शोषण कर अपनी सम्पत्ति में इजाफा करता है, एंजेल के साथ मिलकर लिखी गई किताब दास कैपिटल में साफ-साफ बताया। मार्क्स के विचारों के आधार पर 1917 में लेनिन के नेतृत्व में समाजवादी क्रांति हुई।

बुर्जुआ समाज को नहीं कर सकते नजर अंदाज

मदन मोहन शर्मा ने बताया कि 1846 में मार्क्स ने जर्मन नेता विल्हेम वेइटलिंग की नैतिकतावादी अपीलों की सार्वजनिक रूप से निंदा की। मार्क्स ने जोर देकर कहा कि बुर्जुआ समाज को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता था। सर्वहारा वर्ग साम्यवाद में छलांग नहीं लगा सकता था। मजदूरों के आंदोलन को वैज्ञानिक आधार की जरूरत थी, न कि नैतिकतावादी मुहावरों की। उन्होंने फ्रांसीसी समाजवादी विचारक के खिलाफ भी वाद-विवाद किया। 1846 में पियरे जोसेफ प्राउडॉन की पुस्तक द फिलॉसफी ऑफ पॉवर्टी, प्रूधों की पुस्तक फिलॉसफी डे ला मिज़रे 1847 पर तीखा हमला किया। प्रूधों प्रतिस्पर्धा और एकाधिकार जैसे विरोधाभासों की सबसे अच्छी विशेषताओं को एकजुट करना चाहते थे। उन्होंने आर्थिक संस्थानों में अच्छी विशेषताओं को बचाने और बुरी विशेषताओं को खत्म करने की उम्मीद की। हालांकि मार्क्स ने घोषणा की कि किसी भी आर्थिक प्रणाली में विरोधाभासों के बीच कोई संतुलन संभव नहीं है। सामाजिक संरचनाएं उत्पादक शक्तियों द्वारा निर्धारित क्षणिक ऐतिहासिक रूप थे।

जारी रहेगा धरना

वक्ताओं ने कहा कि जब तक सरकार जेके मजदूरों का बकाया वेतन भुगतान नहीं कर देती और धरने की सभी शर्तों को स्वीकार कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को कोटा के मजदूरों के हित में लागू नहीं कर देती, धरना निरंतर जारी रहेगा। सीटू मीडिया प्रभारी मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि धरना स्थल कोटा कलेक्ट्रेट पर नारेबाजी करते हुए मजदूरों ने सरकार के खिलाफ रोष प्रकट किया। 77 वें दिन भी धरने में महिलाओंं और बच्चों के साथ दर्जनों जेके मजदूर शामिल रहे।

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