सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक में पिछले तीन हफ्ते से मचा सियासी संग्राम अब आखिरी दौर में पहुंच गया है. कल यानी गुरुवार को ये फैसला हो जाएगा कि कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी की सरकार बनी रहेगी या फिर सीएम की कुर्सी पर बीजेपी का कब्जा हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा अदालत ने 15 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने का अधिकार स्पीकर केआर रमेश पर छोड़ दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद हर किसी की निगाहें एचडी कुमारस्वामी के विश्वासमत हासिल करने पर टिकी हैं. कर्नाटक विधानसभा में कुल 224 सदस्य हैं. सरकार बनाने के लिए यहां जादुई आंकड़ा है 113 का. यहां कांग्रेस और जेडीएस की सरकार है. उनके पास कुल मिलाकर 117 विधायक हैं. लेकिन 15 विधायकों के इस्तीफे के बाद अब ये संख्या घटकर 102 पर पहुंच गई है. जबकि उधर बीजेपी के पास 105 विधायक हैं. सुप्रीम कोर्ट ने ये पहले ही साफ कर दिया है कि बागी विधायकों की सदस्यता कब रद की जानी है इसका फैसला खुद विधानसभा अध्यक्ष करेंगे. ऐसे में अगर बहुमत साबित करने से पहले विधायकों की सदस्यता रद नहीं की जाती है तो फिर सारा समीकरण बदल सकता है. यानी 15 सदस्य अगर विधानसभा में नहीं आते हैं तो विधानसभा में बहुमत साबित करने का जादुई आंकड़ा 105 पर पहुंच जाएगा. ऐसे में सीएम कुमारस्वामी का बहुमत साबित करना मुश्किल हो जाएगा. वहीं बीजेपी के पास पहले से ही 105 विधायकों का समर्थन है. ऐसे में बीजेपी की सरकार बन सकती है. कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर केआर रमेश की पहली प्रतिक्रिया थी, ‘कोई भी आकर इस्तीफा दे सकता है. लेकिन मैं तुरंत इस्तीफा स्वीकार नहीं कर सकता. मुझे जांच करनी होगी. मैं रूलबुक के मुताबिक फैसले लूंगा. मुझे फैसले तक पहुंचने से पहले मामले को समझना होगा. सभी सदस्य व्यक्तिगत तौर पर जनता द्वारा चुने गए हैं. मैं कोई गलती नहीं करना चाहता ताकि भविष्य में मेरे ऊपर कोई आरोप नहीं लगे. ’ अब सवाल है कि स्पीकर का रूलबुक क्या कहता है?
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