दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात फिल्म निर्देशक मृणाल सेन का लंबी बीमार के बाद रविवार को निधन हो गया. वह 95 साल के थे. उनके परिवार के सूत्रों ने यह जानकारी दी.”नील आकाशेर नीचे”,”भुवन शोम”,”एक दिन अचानक”,”पदातिक”और”मृगया”जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित सेन देश के सबसे प्रख्यात फिल्म निर्माताओं में से एक थे और समानांतर सिनेमा के दूत थे.मृणाल सेन के एक परिवार के सदस्य ने कहा,”सेन का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण आज सुबह करीब साढ़े दस बजे निधन हो गया.”कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीतने वाले मृणाल सेन को समाज की सच्चाई का कलात्मक चित्रण करने के लिए जाना जाता था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टि्वटर पर सेन के निधन पर शोक जताया.ममता बनर्जी ने कहा,”मृणाल सेन के निधन से दुखी हूं. फिल्म उद्योग की बड़ी क्षति. उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.”माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने भी फिल्म निर्माता को उनके मानवीय कथानक के लिए याद किया. उन्होंने कहा,”मृणाल सेन का गुजर जाना न केवल सिनेमा बल्कि दुनिया की संस्कृति और भारत की सभ्यता के मूल्यों की बड़ी क्षति है. मृणाल दा लोगों पर आधारित अपने मानवतावादी कथानक से सिनेमैटोग्राफी में बड़ा बदलाव लाए.”बंगाली फिल्म उद्योग भी दिग्गज निर्देशक के निधन से शोक में है. परमब्रत चटर्जी ने ट्वीट कर कहा,”एक युग का अंत लीजेंड्स कभी नहीं मरते.”प्रसेनजीत चटर्जी ने कहा,”साल के अंत में लीजेंड मृणाल सेन के निधन जैसी खबरें मिलना हमारे लिए दुख की बात है. हम इससे स्तब्ध हैं. मृणाल सेन ने भारतीय सिनेमा को नया नजरिया दिया. यह हम सभी के लिए भारी क्षति है. उनकी आत्मा को शांति मिले.”मृणाल सेन का जन्म 14 मई 1923 को फरीदपुर (अब बांग्लादेश में है) में हुआ था. उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय से की थी. छात्र के तौर पर मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित सेन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सांस्कृतिक शाखा से जुड़े थे. हालांकि वह कभी पार्टी के सदस्य नहीं बनें. वह ‘इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन’ का हिस्सा थे. वह 1998 से 2003 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे. सेन के निर्देशन में बनी आखिरी फिल्म ‘आमार भुवन’ (दिस इज माय लैंड) 2002 में रिलीज हुई थी. उनके परिवार में एक बेटा है. उनकी पत्नी अभिनेत्री गीता का निधन पिछले साल हो गया था.
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