राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने अचानक यह कहकर सबको चौंका दिया कि राफेल पर विवाद भले हो लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीयत पर किसी को शक नही है. पवार का यह बयान भी ऐसे समय पर आया जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ‘पीएम चोर’ जैसे नारे उछाल रहे हैं और कांग्रेस मुंबई में राफेल पर सबसे बड़ी रैली कर रही है.पवार के बयान का क्या मतलब है इसके कयास लगाये जा रहे है लेकिन पवार को करीब से जानने वालों का कहना है कि उन्होंने यह बयान इसलिए दिया है ताकि कांग्रेस की बांह मरोड़कर ज्यादा सीटें ली जा सकेे. मुंबई में लगातार हर हफ्ते कांग्रेस और एनसीपी नेताओं की गठबंधन और सीटों के बंटवारे पर बात हो रही है. एनसीपी राज्य की 48 लोकसभा सीटों और विधानसभा की 288 सीटों पर 50-50 का बंटवारा चाहती है. जाहिर है पवार जानते हैं कि जब-जब वह कांग्रेस पर टिप्पणी करेंगे कांग्रेस के नेता दबाव में आएंगे.दूसरा कारण यह भी कि पवार खुद रक्षा मंत्री रह चुके है और जानते हैं कि उनकी बात का मतलब क्या होता है. इसलिए पवार ने राफेल पर बात करते हुए पीएम मोदी का तो बचाव किया लेकिन दूसरी ही सांस में यह भी कह गये कि जेटली और निर्मला सीतारमन जिस तरह से बात कर रहे है वो संदेह पैदा करता है.पवार ने कहा था कि राफेल की कीमत बतानी चाहिए, तकनीकी स्पेसिफिकेशन नहीं. दरअसल पवार और मोदी हमेशा से करीबी रहे है. मोदी पीएम बनने से पहले और बाद में भी पवार के गांव कई बार जा चुके हैं और पवार को अपना गुरु भी बता चुके हैं.शरद पवार दूसरा रास्ता भी खुला रखना चाहते हैं. जानकारों का यह भी मानना है कि पवार अपनी बेटी सुप्रिया सुले के कॅरियर को लेकर खासे चिंतित है. वह हर हाल मे सुप्रिया को केन्द्र की राजनीति में जमाना चाहते है ऐसे में अगर अगली सरकार भी मोदी की ही बनती है तो पवार, सुप्रिया को आगे कर खुद पीछे हट जाएंगे.ऐसे में पवार मोदी से खुद नाराजगी मोल नही लेना चाहते है यानी टेढ़ी चाल से वह एक तरफ कांग्रेस से तोलमोल की ताकत बढ़ा रहे हैं दूसरी तरफ बीजेपी से हाथ मिलाने का रास्ता बंद नही कर रहे. जाहिर है पवार एक पत्थर से कई निशाने साधने में माहिर है, लेकिन इसी कारण से कोई उन पर पूरा भरोसा भी नहीं करता.
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