सियासत के ताजा दौर में सोशल मीडिया की बढ़ती भूमिका के मद्देनजर कांग्रेस ने तमाम गैर राजनीतिक प्रोफेशनल्स को भी जोड़ा है. सूत्रों के मुताबिक, सोशल मीडिया विभाग में जोड़े गए इन प्रोफेशनल्स में से कई को तनख्वाह पर रखा गया है. इनका काम देश के कोने-कोने में पार्टी को नए-नए तरीकों से फायदा पहुंचाना है.कांग्रेस अक्सर ये आरोप लगाती है कि उसे मुख्यधारा की मीडिया तवज्जो नहीं देती. संसद से लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस तक कांग्रेस हर मौके पर आरोप लगाती है कि उसको राष्ट्रीय चैनलों पर पर्याप्त समय नहीं मिलता. कांग्रेस ने अब इसी मुश्किल से उबरने के लिए नई रणनीति बनाई है.कांग्रेस अब सोशल मीडिया के माध्यम से उन जगहों तक पहुंचेगी जहां मुख्यधारा की मीडिया कांग्रेस की आवाज़ नहीं पहुंचाती. सोशल मीडिया टीम का न सिर्फ विस्तार किया गया है बल्कि ऑडियो और वीडियो के ज़रिए देश के कोने कोने तक पहुंचने के लिए विशेष टीम बनाई गई है.कांग्रेस की हर प्रेस कॉन्फ्रेंस और कार्यक्रम में पार्टी की कैमरा टीम रहती है. रिकॉर्डिंग के बाद इसको देखकर बुलेट पॉइंट तैयार किया जाता है. फिर 2 या 3 मिनट की छोटी क्लिप तैयार कर उसे सोशल मीडिया में वायरल किया जाता है. साथ ही छोटे जगहों पर चलने वाले स्थानीय चैनल जो दिल्ली में संवाददाता नहीं रख सकते उनके पास भी पार्टी का बना बनाया बयान पहुंच जाता है.इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह का कहना है कि आज का युवा सोशल मीडिया में काफी एक्टिव है. कांग्रेस हमेशा युवाओं की आवाज़ रही है. इसलिए सोशल मीडिया के जरिए हम भी अपनी बात उन तक और आम जनता के बीच पहुंचाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं.हालांकि, इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी के मीडिया विभाग और सोशल मीडिया के बीच विवाद भी अंदरखाने चल रहा है. सूत्रों के मुताबिक, मीडिया विभाग को लगता है कि सोशल मीडिया पर सीधे गैर राजनीतिक और विचारधारा से ना जुड़े लोगों को जोड़ना नुकसानदेह भी हो सकता है.बता दें, कुछ इसी तर्ज पर यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने भी अपना सोशल मीडिया वॉर रूम तैयार किया था. सपा वॉर रूम का काम टीवी, अखबार, सोशल मीडिया, आउटडोर कैंपेन और बैनर-पोस्टर के जरिए अखिलेश की खूबियों को वोटरों तक पहुंचाना था.
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