2022 विधानसभा चुनाव 2022 में गौतम बुद्धनगर में अनुसूचित जाति की महिला का वोट काट कर मताधिकार से वंचित करना प्रशासन को मंहगा पडा, जेवर तहसील के दो तहसीलदार और एक एसडीएम के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करने का आदेश हुआ ।
जेवर तहसील की रोशनपुर गांव की हेमलता का वोट काटकर मताधिकार से किया था वंचित, दो तहसीलदार एक एसडीएम और सहित आठ के विरुद्ध दनकौर थाने पर होगी ।एफआईआर सम्मानित साथियों
अनुसूचित जाति जनजाति के व्यक्ति को मताधिकार से वंचित करना एससी एसटी एक्ट 1989 में दंडनीय अपराध है, एक्ट में यह प्रावधान 1995 में आ गया था, परंतु अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों की अज्ञानता और चुनाव आयोग की अकर्मण्यता के चलते देश भर में कभी इस अपराध में मुकदमे दर्ज नहीं हुए। प्रत्येक चुनाव में एससी एसटी के लाखों लोगों को मताधिकार से वंचित किया जाता रहा है,जब विधानसभा चुनाव 2022 में प्रत्येक बूथ पर कमजोर वर्गों के लाखों वोट कटवा दिए गये तो करीब दर्जन भर जनपद में अनुसूचित जाति के लोगों ने मुख्य चुनाव आयुक्त, मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश, संबंधित जिला अधिकारी, एसडीएम तहसीलदार के विरुद्ध मुकदमे डाले गये थाना, कप्तान एससी एसटी एक्ट कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक का दरवाजा लोगों ने खटखटाया, जनपद बिजनौर के पवन कुमार ने अफजल गढ थाने में एसडीएम तहसीलदार के खिलाफ एससी एसटी एक्ट और धोखाधड़ी में मुकदमा दर्ज करा दिया था।
हालिया मामला जनपद गौतम बुद्धनगर के जेवर विधानसभा के रोशन पुर गांव की हेमलता का है जिसका वोट काटकर विधानसभा चुनाव 2022 मतदान से वंचित किया गया उसने दनकौर थाने ,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गौतम बुद्धनगर को , एसडीएम तहसीलदार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने की गुहार लगाई सुनवाई ना होने पर मजबूरी में विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट कोर्ट में 156(3)दं प्र सं के अंतर्गत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जिसकी लम्बी सुनवाई एससी एसटी एक्ट कोर्ट में हुई ।न्यायाधीश ज्योत्स्ना सिंह ने इस मामले में जिलाधिकारी से आख्या भी तलब की । परंतु प्रशासन के पास हेमलता का वोट काटने का कोई जवाब नहीं दे पाया। 23 नवंबर 2022 को विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट कोर्ट की न्यायाधीश ज्योत्स्ना सिंह ने हेमलता के 156(3) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर थाना प्रभारी दनकौर को विनय भदौरिया एवं अखिलेश सिंह तहसीलदार और रजनीकांत एसडीएम के विरुद्ध एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने के आदेश दिये है हेमलता के प्रार्थना पत्र के अनुसार ताज़े रात हिंद की धारा 420,467,468,471,120बी और3(2)5 ,3(1)ठ,अ,आ एससी एसटी एक्ट 1989में मुकदमा पंजीकृत हो सकता है जिसमें तीन नाम जद और पांच अज्ञात शामिल हैं, संविधान के आर्टिकल 324के अनुसार मतदाता सूची बनाना और स्वतंत्र निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना भारत निर्वाचन आयोग की संवैधानिक ड्यूटी है , अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले जिलाधिकारी से भारत निर्वाचन आयोग यह प्रमाण पत्र लेता है, कि मतदाता सूची का परीक्षण कर लिया गया है ।मतदाता सूची त्रुटि रहित है और इसमें किसी मतदाता का नाम छूटा नहीं है। इस प्रकार हेमलता के मामले में भारत निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारी गौतम बुद्धनगर की भी मुश्किल बढ सकती है ,जिन धाराओं में हेमलता का मुकदमा दर्ज हो रहा है उसमें महामहिम राष्ट्रपति द्वारा जारी राजाज्ञा,14अप्रैल 2016 के अनुसार 400000 चार लाख रुपए की पीड़ित सहायता देने का भी प्रावधान है एफआईआर पर एक लाख आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल होने पर दो लाख और अवर न्यायालय से सजा होने पर एक लाख रुपए की पीड़ित सहायता तत्काल दिये जाने की व्यवस्था एससी एसटी एक्ट में की गई है।
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