बहराइच । हज़रत फातिमा अल-ज़हरा का निधन 11 हिजरी में रमजा़न की तीसरी तारीख़ को हो गया। उस समय, वह 29 वर्ष या उससे थोड़ी कम थी। इन ख़्यालात का इज़हार मदरसा सुल्तानुल उलूम मीर पुर कस्बा व मदरसा आमिना लिल्बनात मोहल्ला सालारगंज बहराइच के संस्थापक एवं प्रबंधक मौलाना सिराज मदनी ने किया उन्होंने कहा कि हज़रत फातिमा अल-ज़हरा पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की मृत्यु के बाद अक्सर बीमार और दुखी रहती थीं। जब हज़रत अबू बक्र को हज़रत फ़ातिमा अल-ज़हरा की हालत के बारे में मालूम हुआ तो उन्होंने अपनी पत्नी हज़रत अस्मा बिन्त उमैस से कहा: हज़रत फ़ातिमा अल-ज़हरा की देखरेख में उनके पास जा कर रहो, चुनानचे वह हज़रत फ़ातिमा के साथ तब तक रहीं जब तक उनका निधन नहीं हो गया। उनकी मृत्यु से पहले, हज़रत फातिमा ने उन्हें स्नान आदि के बारे में वसीयत दी, फिर उनकी इच्छा के अनुसार, उन्हें स्नान कराया गया। अस्मा बिन्त उमेस और हज़रत सलमा उम्म रफ़ी मौजूद थीं और जनाज़ा की नमाज़ हज़रत अली ने पढ़ाई। और कब्र में दफ़न करते समय हज़रत अली और फ़ज़ल बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा दाखिल हुए।
मौलाना सिराज मदनी ने कहा हज़रत फ़ातिमा अल-ज़हरा सभी मुसलमानों के लिए एक चुनी हुई शख्सियत हैं। उनका जन्म शुक्रवार 20 जुमादी अल-सानी को मक्का में बेअसत के पांचवें वर्ष में हुआ था। उनकी शादी हज़रत अली से हुई जिनसे दो बेटे हज़रत हसन व हुसैन और दो बेटियाँ ज़ैनब और उम्म कुलसूम पैदा हुए।
हज़रत फातिमा हज़रत मुहम्मद बिन अब्दुल्ला और हज़रत ख़दीजाह बिन्त खुवेलिद की बेटी थीं। हज़रत अली और हज़रत फ़ातिमा अल-ज़हरा की शादी हिजरत के दूसरे साल जु़ल हिज्जा की पहली तारीख़ में हुई जबकि उनके बीच निकाह के सीगे हजरत मुहम्मद ने पहले ही जारी कर दिए थे। अक़्द के दस महीने बाद रूख्सती हुई थी हज़रत अली से पहले मुहाजिरीन व अंसार में से कई लोगों ने हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से हज़रत फातिमा का रिश्ता मांगा था लेकिन आप ने उन रिश्तों को मना कर दिया था
हज़रत फ़ातिमा अल-ज़हरा का महर 400 से 500 दिरहम के बीच था। हज़रत अली ने अपनी जि़रह (हथियार) बेच कर हज़रत फ़ातिमा अल-ज़हरा का महर अदा किया आप दोनों की शादी की मुनासिबत से हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने खुद मदीना के लोगों को वलीमा खिलाया। रूख्सती के समय हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने दुआ की या अल्लाह हज़रत फातिमा और हज़रत अली के दिलों को एक कर दे और उनकी नस्ल को मुबारक करार दे।
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