यह सब देखना मेरी जिम्मेदारी नहीं ,प्रिंसिपल से बात कीजिए: सीएमएस
रिपोर्ट : डी. पी.श्रीवास्तव
बहराइच।प्रदेश के लोगों के बेहतर स्वास्थ्य को लेकर जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक हर संभव प्रयास करने के साथ-साथ पानी की तरह संबंधित विभागों को रुपया उपलब्ध करवा रहे हैं वही डॉक्टर अपने कार्यों से विरत होकर अपनी जेब भरने की आकांक्षाओं को अमलीजामा पहनाते हुए मेडिकल कॉलेज परिसर में ही प्राइवेट प्रैक्टिस में लिप्त बताए जाते हैं। स्वयं मरीजों का कहना है कि यहां के ज्यादातर डॉक्टरों के दलाल मरीजों से डॉक्टर के घर पर दिखाने की बात की जाती है।जहां पर मरीजों से फीस,जांच व दवा के नाम पर अच्छी खासी रकम भी वसूली जाती है।जनपद के प्रतिष्ठित फिजिशियन डॉक्टर प्रभाकर मिश्रा को लेकर भी मरीजों द्वारा यह बताया गया कि वह अस्पताल परिसर में बैठकर ही अपनी प्राइवेट क्लीनिक चलाते हैं। जहां पर प्रति व्यक्त ₹500 की वसूली की जाती है। डॉ प्रभाकर इतने चलाक डॉक्टर है कि पत्रकारों के मोबाइल ले जाने पर भी प्रतिबंध लगा रखा है।यह डॉक्टर बहराइच के कैसरगंज क्षेत्र के रहने वाले बताए जाते हैं।बताया जाता है कि इनके पिता श्रीधर अध्यापक थे।ऐसी अवस्था में इनके जिले में तैनाती को लेकर भी समय-समय पर सवाल पैदा होते रहे हैं।लेकिन देखना यह भी होगा कि इनका मतदाता पहचान पत्र कहां से बना हुआ है इनकी पैदाइश भी गांव नौगाइयां,कैसरगंज की बताई जा रही है जो कि कैसरगंज से लगभग 3 किलोमीटर बताया जाता है।सूत्रों की माने तो डॉक्टर प्रभाकर के भाई का साला लकी इनके प्राइवेट क्लीनिक का काम देखता है जो की पूर्व में मिलिट्री में कार्यरत बताए जाते हैं।कुछ पत्रकारों का भी कहना है कि वो पत्रकारों को भी रोकने का काम करता रहता है। बताते हैं कि डॉक्टर साहब अपने रिश्तेदारों के फोन पर भी अपने बिजनेस से समझौता नहीं करते हैं। जिनसे उनके भाई का साला रुपया वसूलने का भरसक प्रयास करता है।कई बार लोगों से उसकी नोकझोंक होने की भी बात बताई जाती है। जब रिश्तेदारों द्वारा डॉक्टर प्रभाकर के मेदांता में भर्ती व शादी की बात बताई जाती है तो वे उन्हें भी जल्दी पहचानने की कोशिश नहीं करते। ऐसे में सरकार से नान प्रैक्टिस अलाउंस लेने वाले डॉक्टरों द्वारा मेडिकल कालेज परिसर में बैठ कर लूट खोरी करने के बाद भी क्या उन्हें पद से बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए?जो परोक्ष रूप से आम लोगों के समक्ष सरकार की क्षवि को भी खुलेआम धूमिल करने का कुत्सित प्रयास भी कर रहें हैं।
मालूम हो कि पूर्व जिला अधिकारी माला श्रीवास्तव के साहसिक प्रयास से कई डॉक्टरों की चूलें हिला दी गई थीं। बताया जाता है कि एक बार फिर जनपद में महिला जिलाधिकारी के पदार्पण होते ही डॉक्टरों में सुगबुगाहट देखी जा रही है कि कहीं वर्तमान जिला अधिकारी द्वारा भी माला श्रीवास्तव का अनुसरण न कर लिया जाए। मालूम हो कि कुछ दिनों पूर्व तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा डॉक्टर प्रभाकर के मेडिकल परिसर आवास पर चल रहे क्लीनिक पर छापा भी मारा गया था।लेकिन उस दिन वहां पर कोई नहीं मिला था। और बाद में पहले की तरह फिर से अपने प्राइवेट क्लीनिक पर लगातार देखे जा रहे हैं। इस संदर्भ में जब हमारे जिला प्रभारी द्वारा सीएमएस बहराइच से बात की गई तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह सब देखना हमारा काम नहीं है न ही मेरी जिम्मेदारी है।आपको जो भी बात करना हो प्रिंसिपल से कीजिए और फोन को काट दिया। दोबारा फोन करने पर उन्होंने फोन नहीं उठाया।मेडिकल कॉलेज परिसर में सरकारी डॉक्टरों द्वारा उक्त प्रकरण पर जिला प्रशासन क्या कार्यवाही करता है यह देखने का विषय होगा।
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