केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से बाल देखभाल गृहों में बुनियादी ढांचे की कमियों का पता लगाने और उनकी समीक्षा करने का आह्वान किया। उन्होंने एनसीपीसीआर से इन कमियों को महिला बाल विकास मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत करने को भी कहा ताकि इन्हें आगामी बजट में सामने लाया जा सके।
किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 27 बच्चों की देखभाल, सुरक्षा, उपचार, विकास और पुनर्वास के मामलों के निपटान के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की स्थापना को अनिवार्य बनाती है ताकि देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों को उनकी बुनियादी जरूरतों और मानवाधिकारों की सुरक्षा प्रदान की जा सके। बाल कल्याण समिति के कार्य और जिम्मेदारियां किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 30 के अनुसार होंगी।
सीडब्ल्यूसी के लिए बुनियादी ढांचा
मिशन वात्सल्य योजना प्रत्येक जिले में सीडब्ल्यूसी की सुविधा और उनके प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को बुनियादी ढांचा और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती है। निर्माण किए जाने वाले बाल गृह में सीडब्ल्यूसी के लिए 300-300 वर्ग मीटर के दो कमरों का निर्माण किया जाएगा। जहां किसी मौजूदा बाल गृह के परिसर में आवश्यक स्थान उपलब्ध है तो उसे समिति को उपलब्ध कराया जाएगा। हालाँकि, ऐसे जिलों में जहां बाल गृह नहीं है या मौजूदा बाल गृह में सीडब्ल्यूसी के लिए कोई जगह उपलब्ध नहीं है तो वहां इस मिशन के तहत उपयुक्त परिसर का निर्माण करने या किराये पर लेने के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा। मिशन वात्सल्य योजना सीडब्ल्यूसी के निर्माण के लिए 9,25,800/- रुपये प्रदान करती है।
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