अनुशासन के बिना संस्थाओं का क्षय होने लगता है : उपराष्ट्रपति
अनुशासन बनाए रखने के लिए कभी कभी कठोर कदम उठाना अपरिहार्य हो जाता है, अन्यथा रियायतों से संस्था की प्रतिष्ठा गिरेगी
कानून अपना काम कर रहा है भ्रष्टाचार करने वालों को ही आंच लग रही है : उपराष्ट्रपति
कानून से बचने के लिए सड़क पर प्रदर्शन करना कितना सही, भ्रष्टाचारियों को कानून की पकड़ से कैसे निकलने दिया जा सकता है
उपराष्ट्रपति ने आर्थिक राष्ट्रवाद की वकालत की, उपभोक्ताओं और उद्योग व्यापार से जुड़े लोगों से आर्थिक राष्ट्रवाद अपनाने का आह्वाहन किया
उपराष्ट्रपति द्वारा भारत की गौरवशाली ऐतिहासिक उपलब्धियों पर गर्व करने का आह्वाहन
उपराष्ट्रपति ने भारतीय वन सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित करते हुए उनसे मौलिक दायित्वों पर बल देने को कहा
मानव प्रकृति का ट्रस्टी है, उसके संसाधनों का प्रयोग आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए न कि किसी की वित्तीय हैसियत के आधार पर
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज अनुशासन की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि कभी कभी अनुशासन बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाना अपरिहार्य हो जाता है अन्यथा लोकतंत्र के मंदिरों की प्रतिष्ठा का क्षय होने लगेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सभा के सभापति के रूप में उनका यही प्रयास रहा है कि लोकतंत्र के मंदिरों में अनुशासन रहे। उन्होंने कहा कि अनुशासन के बिना विकास संभव ही नहीं।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






