कोटा में सृजन सद्भावना समारोह 2024 आयोजित
वक्ताओं ने दिया विविधता में एकता का संदेश
कोटा। नव वर्ष एवं मकर संक्रांति पर गंगा-जमना-चम्बल की मिली जुली संस्कृति और हिंदी, उर्दू व हाड़ौती की भाषाई एकता का प्रतीक विकल्प सृजन सद्भावना समारोह 2024 रविवार को शायर शकूर अनवर के आवास पर आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान हिंदी ग्रन्थ अकादमी के पूर्व निदेशक डॉ़. रमेश वर्मा ने कहा कि भारतीय समाज के विविध रंग रहे हैं और इन रंगों में एक दूसरे का कोई विरोध नहीं रहा। सब मिलकर एक उजली भारतीयता का निर्माण करते हैं। जैसे सूरज की हर किरण में सात रंग होते हैं। हमें सावचेत रहना होगा कि हमारी यह भारतीयता कहीं खो न जाए। इससे पूर्व सद्भावना सन्देश देते हुए प्रो. संजय चावला ने कहा कि पाश्चात्य और अरब जगत सिन्धु पार के लोगों को हिंदू मानता और कहता रहा है और यदा कदा हमें हिंदी कहता रहा है। ऐसी हिन्दियत जिसमें विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक बैर भाव नहीं रहा है। इसे हमें कायम रखना होगा। कार्यक्रम से पूर्व शांति के प्रतीक कबूतरों एवं स्वतंत्रता की प्रतीक पतंगों को खुले आसमान में छोड़ा गया। इसके साथ ही वरिष्ठ कवि व साहित्यकार पुरुषोत्तम पंचोली को विकल्प सृजन सम्मान से नवाज़ा गया। दुर्गादान सिंह गौड़, डॉ. अनीता वर्मा, डॉ. पुरुषोत्तम यकीन, चांद शेरी, डॉ. कृष्णा कुमारी तथा डॉ. अतुल चतुर्वेदी को भी विगत वर्षों के सृजन सम्मान प्रदान किए गए। मंडल पुस्तकालय के अध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव तथा डॉ. मोहम्मद यूनुस अंसारी को भी विशिष्ट सम्मान प्रदान किया गया। कार्यक्रम में एडवोकेट दिनेश राय द्विवेदी, विजय सिंह पालीवाल, डॉ. ज़ेबा फिज़ा, फानी जोधपुरी, भगवती प्रसाद गौतम, शून्य आकांक्षी, फ़िरोज़ अहमद तथा इंजीनियर सिराज अहमद अंसारी ने भी अपने विचार प्रकट किए। कार्यक्रम का संचालन विकल्प के महासचिव महेंद्र नेह ने किया। अंत में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें अंचल के प्रमुख कवि एवं शायरों गयास फायज़, रतनलाल वर्मा, फानी जोधपुरी, डॉ. ज़ेबा फिजा, हंसराज चौधरी, शकूर अनवर तथा बृजेन्द्र कौशिक ने काव्य पाठ किया। काव्य गोष्ठी का संचालन हलीम आईना ने किया।
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