कोटा के साहित्य जगत में शोक की लहर
विकल्प सहित सभी साहित्यिक संस्थाओं ने दी श्रद्धांजलि
कोटा। कोटा के वरिष्ठ कवि, साहित्यकार और रंगकर्मी डॉ. इंद्रबिहारी सक्सेना के मंगलवार को निधन की खबर लगते ही साहित्य जगत में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। विकल्प सहित सभी साहित्यिक संस्थाओं ने दिवंगत साहित्यकार को श्रद्धांजलि अर्पित की।
विकल्प जन सांस्कृतिक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेन्द्र नेह ने बताया कि उनका जन्म सन् 1937 में बारां जिले के किशनगंज में हुआ था। अपनी युवा अवस्था से ही वो कविता और रंगमंच की दुनिया में सक्रिय हो गए थे। एक गीतकार और अभिनेता के रूप में उन्हें ख्याति मिली। आकाशवाणी कोटा एवं जयपुर दूरदर्शन से उनकी कविताओं का नियमित प्रसारण होता रहता था। कविता संग्रह मरु में महके गीत प्रसून के प्रकाशन से हिंदी साहित्य में उनकी विशिष्ट पहचान बनी। रेलवे विभाग द्वारा अयोजित नाटकों में वे एक अभिनेता के रूप में कोटा मंडल की ओर से अपने अभिनय की छाप छोड़ते रहे। वे कोटा में रेलवे के वरिष्ठ लेखाकार के पद से सेवानिवृत्त होकर आजीवन साहित्य की सेवा करते रहे।
विकल्प जन सांस्कृतिक मंच के सचिव शकूर अनवर, अध्यक्ष किशन वर्मा, महेन्द्र नेह, डॉ. दिनेश राय द्विवेदी, चांद शेरी, शून्य आकांक्षी, शरद तैलंग, नारायण शर्मा, संजय चावला, विजय राघव, डॉ. अनिता वर्मा, डॉ. कृष्णा कुमारी, डॉ. उषा झा, सीमा तबस्सुमु सहित नगर के प्रमुख साहित्यकारों डॉ. नरेन्द्र नाथ चतुर्वेदी, भगवती प्रसाद गौतम, डॉ. अतुल चतुर्वेदी, नागेन्द्र कुमावत, सलीम आफरीदी, डॉ शबाना सहर, आनंद हज़ारी, गयास फाइज आदि ने दिवंगत साहित्यकार को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
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