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Saturday, May 24, 2025 5:04:26 AM

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किसानों के अरमानों पर प्रकृति ने एक बार फिर ढहाया कहर

किसानों के अरमानों पर प्रकृति ने एक बार फिर ढहाया कहर

इटावा सहित पूरे हाड़ौती क्षेत्र में बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से फसलों को हुआ भारी नुकसान

कोटा। बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि के चलते शुक्रवार को इटावा सहित पूरे हाड़ौती क्षेत्र में प्रकृति के कहर ने एक बार फिर किसानों के अरमानों को चूर-चूर कर दिया है। खेतों में कहीं पकी हुई फसलें खड़ी हैं तो कहीं कटी हुई पड़ी हैं। जिनमें बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि के चलते भारी नुकसान हुआ है।

इटावा क्षेत्र के ग्राम नलावता निवासी किसान पिंटू मीणा ने बताया कि बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से सरसों, चने, धनिये, मैथी की फसलों में जबरदस्त नुकसान हुआ है। प्रकृति के प्रकोप के आगे किसान बेबस व निराश नजर आ रहा है। मौसम की मार से बर्बाद हो रही फसलों को देखकर मायूसी से आसमान की तरफ देख रहा है।

कई गांवों में ओलों की हुई बारिश

इटावा नगर सहित क्षेत्र के अनेक गांवों में तेज हवाओं के साथ करीब आधे घण्टे तक तेज बारिश हुई। जिससे सड़कों पर पानी बह निकला। इसके साथ ही क्षेत्र के ख्यावदा, मुंगेना, नलावता, बिजावता, ढीपरी चम्बल, निमोला, मियाना, शेरगढ़, बेजपुर, रनोदिया, गणेशगंज गांवों में कहीं चने तो कहीं उससे बड़े आकार के ओले गिरे। करीब 4-5 मिनिट हुई इस ओलावृष्टि से कई जगह बर्फ की परतें जम गईं।

फसल बीमा केवल किसानों के साथ छलावा

किसानों ने बताया कि एक तरफ मौसम की मार है, वहीं दूसरी ओर फसल बीमा किसानों के साथ छलावे के अलावा कुछ नहीं है। बीमे के नाम पर किसानों से हर फसल पर बीमा करवाया जाता है। लेकिन किसामों के लिए बीमा सिर्फ छलावा साबित हो रहा है। किसानों को न तो जानकारी मिलती है और ना ही समय पर बीमा क्लेम मिलता है। खरीफ 2023 की फसल में उड़द व तिल्ली की फसलें पूरी तरह खराब हुई थीं। लेकिन अभी तक कोई क्लेम नहीं मिला। इसके अलावा पिछले वर्षों में भी यही हाल रहा है। क्लेम नहीं मिलने से किसान मायूस होकर रह जाता है। क्षेत्र के किसान संगठन मांग करते हैं। लेकिन उनको सरकारी सिस्टम में उलझा कर समय निकाल दिया जाता है।

खेतों में कटी व पकी खड़ी हैं फसलें

इस बार पहले तो समय पर किसानों को नहरी पानी नहीं मिला। जैसे तैसे किसानों की फसलें पकने को तैयार हुईं तो अब प्रकृति की मार से किसान चिंतित हैं। खेतों में जहां सरसों की फसल पक गई है ‌वहीं कटने लगी हैं। अधिकतर किसानों की जिंसें मंडी में नहीं पहुंची हैं। खेतों में ही या तो पकी खड़ी हैं या फिर कटकर खेतों में ही पड़ी हुई हैं। इस कारण बैमौसम ‌ बारिश व ओलावृष्टि से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। चने, धनिये, मेथी व गेंहू की फसलें बारिश व तेज हवाओं से आड़ी पड़ गई हैं। जिससे काफी नुकसान हुआ है।

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