-स्टेशन क्षेत्र के सोगरिया में कोटा सिटी के ख्यातनाम रचनाकारों ने किया काव्य पाठ
कोटा के स्टेशन क्षेत्र की श्रीनाथ रेजीडेंसी सोगरिया में कवि दीनबंधु परालिया के निजी आवास पर देर रात तक चली काव्य गोष्ठी में कोटा सिटी के ख्यातनाम रचनाकारों ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ कवि योगेश यथार्थ की मायड़ भासा हाड़ौती की ढाई कड़ी शैली में रचित सरस्वती वंदना से हुआ। तत्पश्चात मधुकर काव्य सृजन त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका के संपादक जोधराज परिहार ने -थांने परदेशा परणाई बाबुल थारी सोनचड़ी गीत सुनाकर तालियां बटोरी। इसके बाद वरिष्ठ कवि कालीचरण राजपूत ने भारतीय विज्ञान और टेक्नोलॉजी की तरक्की और इसरो को अपनी कविता का शीर्षक विषय बनाते हुए काव्य पाठ किया-बना लिए प्रक्षेपण यान सैन्टर स्वदेशी, अब इसरो बदल रहा है-हिन्दुस्तानी तकनीक से अखिल ब्रह्माण्ड डोल रहा है। इनके बाद शहर के वयोवृद्ध कवि रघुनाथ मिश्र ने मोबाइल के माध्यम से अपने घर से ऑनलाइन काव्य पाठ किया। गोष्ठी में उपस्थित कवियों से परिचय जानकर खुशी जाहिर करते हुए सभी कलमकारों को बधाइयों से नवाजा। इसके बाद युवा कवि नरेंद्र शर्मा ने श्रृंगार रस की -तकलीफ सबको है इस ज़माने में,
कोई बताने में तो कोई लगा है छिपाने में सुनाई।
साहित्य समिति के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि डॉ. रघुराज सिंह कर्मयोगी ने एक मीठा सा अहसास भूलूंगा कैसे
उंगलियां घुमाती थी बालों में-सरस श्रृंगार की कविता पढ़ी। माही परालिया ने दलितों वंचितों पर बढ़ रहे अत्याचार और सामाजिक विसंगतियों पर काव्य पाठ किया। ब्रजभाषा के सहज सरल सहृदय कवि कमलेश कमल ने अपनी कविता के माध्यम से अपने मनोभाव यूं जाहिर किए – कम खाऊं और गम खाऊं मैं-
जित देखूं तित खुशियां पाऊं मैं। डॉ नन्दकिशोर महावर ने वर्तमान की सामाजिक स्थिति पर चिन्ता जाहिर करते हुए मनोभाव अभिव्यक्त किए- धरती तो बंट जाएगी तो नील गगन का क्या होगा?- हम तुम ऐसे बंट जाएंगे तो, महालमिलन का क्या होगा?
कार्यक्रम के संयोजक दीनबंधु परालिया ने माता पिता के स्थान को सर्वोच्च रखते हुए श्रद्धा भाव इस तरह प्रकट किए- मात पिता के उपकार हम भुला सकते नहीं- सौ बार जनम लेकर भी ऋण चुका सकते नहीं।
अगले क्रम में कवि ओपी सिंह ने श्रृंगार रस में अपने अहसास यूं जाहिर किए- मुझे हर रूप में तुम्हारा अक्स दिखता है- कभी राधा सी लगती हो कभी कृष्णा सी लगती हो। साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की जिम्मेदारी वैसे तो भी हम सभी देशवासियों की है पर कवि सलीम स्वतंत्र इस जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए यूं भावाभिव्यक्ति प्रकट करते हैं -सर्वधर्म समभाव की जिनको न दरकार-हिन्दू मुस्लिम कर रहे कुर्सियों पर बैठे जिम्मेदार। इनके अलावा कवि ज्ञान गंभीर ने हास्य रस की कविता सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता ओजस्वी कवि आरसी आदित्य बूढ़ादीत ने की तथा सफल और बेहतरीन संचालन युवा कवि अरविंद अंगार ने किया।
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