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Monday, May 12, 2025 3:06:14 AM

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प्रतिरोध में ही निहित है साहित्य की आत्मा: प्रो. हेमेन्द्र चंडालिया

प्रतिरोध में ही निहित है साहित्य की आत्मा: प्रो. हेमेन्द्र चंडालिया

कोटा में विकल्प की ओर से समय-संवाद एवं काव्य गोष्ठी सम्पन्न

कोटा। कोटा के बारां रोड स्थित बाल विद्यालय में शनिवार को विकल्प जन सांस्कृतिक मंच की ओर से समय-संवाद एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उदयपुर से आए जनपक्षधर कवि, लेखक व चिन्तक प्रो. हेमेन्द्र चंडालिया ने स्वर्गीय शिवराम की विरासत को याद करते हुए कहा कि साहित्य की आत्मा प्रतिरोध में ही निहित है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में लिखने और सोचने की क्षमता पर प्रहार किया जा रहा है। प्रतिरोध का स्वर हर हाल में ख़त्म करने की चेष्टा की जा रही है। उन्होंने अनेक लेखकों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि सत्ता के सुर में सुर न मिला कर प्रतिरोध का स्वर बुलंद करने वालों को माओवादी और नक्सलवादी कह कर जेल में डाला जा रहा है। एक आम लेखक एक-एक शब्द लिखने से पहले कई बार सोचता है। उन्होंने लेखकों तथा बुद्धिजीवियों से इसके विरुद्ध सामूहिक संघर्ष करने का आह्वान किया।

 

अपसंस्कृति का दौर आना स्वाभाविक है

 

उन्होंने कहा कि जब आर्थिक और सामजिक बदलाव आते हैं तो सांस्कृतिक बदलाव भी स्वाभाविक रूप से आते हैं। हम आज नग्न पूंजीवाद के दौर में हैं। अपसंस्कृति तो आनी ही है। भाषा का भी विकृति करण होगा। वैश्वीकरण के साथ ही पूरे विश्व की संस्कृति भी यूनिफोर्म हो चली है। आय और मुनाफा ही एक मात्र ध्येय रह गया है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट जगत में बड़े-बड़े पैकेज पर नई पीढ़ी के लोगों को भी वर्किंग क्लास में शामिल माना जाना चाहिए। 12-12 घंटे काम करने वाली इस पीढ़ी के पास न तो अपने परिवार के लिए सोचने का समय है न देश और समाज के लिए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सवाई माधोपुर से आए डा. रमेश वर्मा ने कहा कि पूंजीवाद का मूल मन्त्र ही दोहन और मुनाफा है। अगर हमने विकास के नाम पर प्रकृति का अंधा-धुंध दोहन बंद नहीं किया तो न तो यह धरती बचेगी और न ही मानव। कार्यक्रम का संचालन साहित्कार महेंद्र नेह ने किया। कार्यक्रम में संवैधानिक मूल्यों में आस्था रखने वाले चिन्तक व सामाजिक कार्यकर्त्ता उपस्थित थे। प्रो. संजय चावला ने प्रो. हेमेन्द्र चंडालिया का परिचय दिया

 

काव्य गोष्ठी का आयोजन

 

समय संवाद के बाद विकल्प काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कोटा तथा झालावाड़ से आए प्रतिनिधि कवियों ने जनपक्षधर विषयों पर क्रन्तिकारी रचनाओं का वाचन किया। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. अतुल चतुर्वेदी ने की। संचालन रामनारायण मीणा हलधर ने की।

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