
कोई भी कानून अपने आप में पूर्ण नहीं होता है, कानून के नियम सामान्य होते हैं अतः वे उन सभी असुविधाओं के खिलाफ जिनकी संख्या अनिश्चित होती हैं, सब काल के लिये नियम नहीं बना सकते हैं क्योंकि विभिन्न अवस्थाओं में विभिन्न मामले उत्पन्न होते रहते हैं । कोई भी संहिता चाहे वह कितनी ही […]