भाजपा के पूर्व नेता और आरएसएस विचारक केएन गोविंदाचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में मांग की गई है कि अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की जाए. के. एन. गोविंदाचार्य ने अपनी याचिका में कहा है कि ये विषय लोगों की आस्था से जुड़ा हुआ है. संविधान के अनुच्छेद 19 (1) ए के तहत लोगों को जानने का अधिकार मिला हुआ है. ऐसे में लोगों को यह जानने का अधिकार है कि अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई में क्या हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत दी है, ऐसे में अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की लाइव स्ट्रीमिंग कराई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लाइव स्ट्रीमिंग की इजाजत दी है, ऐसे में अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद के सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग कराई जाए. यह मामला करोड़ों लोगों की आस्था का विषय है लेकिन यह संभव नहीं है कि सभी लोग कोर्ट में आकर मामले की सुनवाई देख सके. लिहाजा इस लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए सभी लोगों को फर्स्ट हैंड इनफॉरमेशन मिलेगी. इससे पहले अयोध्या विवाद मामले में गठित मध्यस्थता समिति ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में अपनी फाइनल रिपोर्ट पेश कर दी थी. समिति के सदस्यों के मुताबिक वे इस विवाद का समाधान करने में सक्षम नहीं हैं. इस रिपोर्ट के बाद लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद के आपसी बातचीत से समाधान के प्रयास असफल हो गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता की कोशिशें फेल हो गई हैं. रामजन्म भूमि विवाद मामले की खुली अदालत में सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए 30 अगस्त, 2010 के आदेश के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं की प्रतिदिन सुनवाई करने का फैसला किया है. मिली जानकारी के अनुसार हफ्ते में तीन दिन सुनवाई होगी. ऐसे में इस विवाद पर तीन से चार महीने के भीतर फैसला आ सकता है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित जमीन को तीन समान भागों में बांट दिया जाए और एक भाग राम लला, एक भाग निर्मोही अखाड़ा और एक भाग सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया जाए. अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की रिट याचिका का विरोध किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सुनवाई शुरू होते ही सब कुछ तय हो जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. इस समिति को मामले का सर्वमान्य समाधान निकालना था. मध्यस्थता समिति में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम भी शामिल थे. मध्यस्थता पैनल ने संबंधित पक्षों से बंद कमरे में बातचीत की थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितम्बर 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलें दायर की गई हैं. हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मई 2011 में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ ही अयोध्या में विवादित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.
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