भाजपा के परंपरागत मतदाताओं और अपने निजी सहयोगियों की बदौलत पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने एक बार आजमगढ़ में कमल का फूल खिलाया था। इस बार भी वह टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी ने भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव उर्फ 'निरहुआ' को टिकट दिया है। 'निरहुआ' के लिए आजमगढ़ की सीट टेढ़ी खीर साबित हो सकती है। आजमगढ़ में व्यापारी, अन्य पिछड़ा वर्ग और सवर्ण भाजपा के परंपरागत वोटर माने जाते हैं। 2009 में यादवों और इसी वर्ग के बूते ही रमाकांत ने यहां से भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की थी। 2014 में उन्हें सपा के मुलायम सिंह यादव के मुकाबले 63 मतों से हार का सामना करना पड़ा था। रमाकांत को दो लाख 76 हजार 998 मत मिले थे। इस बार भी रमाकांत को भाजपा की टिकट का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। भाजपा ने उनका टिकट काट कर भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव निरहुआ को पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। दलित बिरादरियों के कुछ तबकों में रमाकांत की लोकप्रियता भी ज्यादा है। लेकिन माना जा रहा है कि सपा प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छवि के कारण सवर्ण मतदाताओं का झुकाव उनकी ओर हो सकता है। कहा जा रहा है कि दिनेश लाल यादव उर्फ 'निरहुआ' अपनी बिरादरी और एससी-एसटी में भले ही सेंध लगा लें लेकिन भाजपा के परंपरागत मतदाताओं और कार्यकर्ताओं को सहेजना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। रमाकांत को टिकट नहीं मिलने का कारण बताया जा रहा है कि उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और सीएम योगी आदित्यनाथ को निशाने पर ले रखा था। पार्टी पर भी पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाया था। पार्टी के बड़े कार्यक्रमों से भी वह नदारद रहते थे। सूत्रों की मानें तो रमाकांत का टिकट पहले फाइनल हो चुका था लेकिन मुख्यमंत्री की नाराजगी के कारण इसकी घोषणा नहीं की गई। इसके बाद दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी ने 'निरहुआ' को टिकट दे दिया।
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