बीएसपी प्रमुख मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपनी आदमकद प्रतिमाएं बनाए जाने के कदम का सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बचाव करते हुए कहा कि ये प्रतिमाएं “लोगों की इच्छा” जाहिर करती हैं. उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामे में कहा कि उनकी और अन्य नेताओं की प्रतिमाएं और स्मारक बनाने के पीछे की मंशा “जनता के बीच विभिन्न संतों, गुरुओं, समाज सुधारकों और नेताओं के मूल्यों और आदर्शों का प्रचार करना है ना कि बीएसपी के चिह्न का प्रचार या उनका खुद का महिमामंडन” करना है. मायावती ने अपने हलफनामे में कहा कि उनकी प्रतिमाएं “लोगों की इच्छा का मान रखने के लिए राज्य विधानसभा की इच्छा” के अनुसार बनवाई गई. उन्होंने कहा कि स्मारकों के निर्माण और प्रतिमाएं स्थापित करने के लिए निधि बजटीय आवंटन और राज्य विधानसभा की मंजूरी के जरिए स्वीकृत की गई. मायावती ने प्रतिमाओं के निर्माण में सार्वजनिक कोष के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज करने की मांग करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और कानून का घोर उल्लंघन बताया. सुप्रीम कोर्ट ने आठ फरवरी को कहा था कि मायावती को उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर अपनी और पार्टी के चिह्न हाथी की मूतियां लगाने के लिए इस्तेमाल की गई सार्वजनिक कोष सरकारी राजकोष में जमा करानी चाहिए. पीठ ने तब कहा था, “सुश्री मायावती सारा पैसा वापस करिए. हमारा मानना है कि मायावती को खर्च किए गए सारे पैसे का भुगतान करना चाहिए.” उसने कहा था, “हमारा फिलहाल मानना है कि मायावती को अपनी और अपनी पार्टी के चिह्न की प्रतिमाओं पर खर्च किया जनता का पैसा सरकारी राजकोष में जमा कराना होगा.” शीर्ष न्यायालय 2009 में दायर एक वकील की याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें आरोप लगाया गया कि जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थी तब विभिन्न स्थानों पर उनकी और बीएसपी के चुनाव चिह्न की प्रतिमाएं लगाने के लिए 2008-09 और 2009-10 के लिए राज्य के बजट से करीब 2,000 करोड़ रुपये इस्तेमाल किए गए. इसमें दलील दी गई है कि अपनी प्रतिमाएं लगाने और राजनीतिक पार्टी का प्रचार करने के लिए जनता के पैसों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. अदालत ने 29 मई 2009 को लखनऊ और नोएडा में पार्कों में अपनी और पार्टी के चिह्न की प्रतिमाएं लगाने के लिए सार्वजनिक कोष के इस्तेमाल के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और मायावती को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. जनहित याचिका के लंबित रहने के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 22 फरवरी 2010 को निर्वाचन आयोग से 2012 के विधानसभा चुनाव के समय सार्वजनिक स्थानों से इन चिह्नों की प्रतिमाएं हटाने की याचिका पर विचार करने के लिए कहा था. आयोग ने सात जनवरी 2012 को राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान मायावती और हाथियों की प्रतिमाओं को ढकने के आदेश दिए थे.
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






