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Sunday, May 11, 2025 4:26:34 AM

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दुधवा वृत्त के टाइगर्स रिज़र्व की पहचान होंगे खास पैटर्न में रंगे वन बैरियर्स: रमेश कुमार पाण्डेय 

दुधवा वृत्त के टाइगर्स रिज़र्व की पहचान होंगे खास पैटर्न में रंगे वन बैरियर्स: रमेश कुमार पाण्डेय 

बहराइच 12 जनवरी। दुधवा टाइगर रिजर्व के मुख्य वन संरक्षक एवं फील्ड डायरेक्टर रमेश कुमार पाण्डेय के निर्देश पर दुधवा वृत्त अन्तर्गत किये जा रहे अभिनव प्रयोग के तहत (टाइगर रिज़र्व) व्याघ्र क्षेत्रों में पड़ने वाली प्रमुख वन चैकियों (बैरियर्स) को टाईगर्स स्ट्राइब्स (बाघों के शरीर पर दिखने वाली सुन्दर पट्टियों) के रंग में रंगा जा रहा है। फील्ड डायरेक्टर के इस अभिनव प्रयोग से जहाॅ एक ओर वन क्षेत्र में स्थापित बैरियर्स की सुन्दरता में चार चाॅद लग रहें हैं वहीं दूसरी ओर इस खास पैटर्न में किये जा रहे रंग-रोगन के पीछे अनेकों सन्देश भी छिपे हुए हंै। प्रथम दृष्टया फील्ड डायरेक्टर के इस प्रयास को वन्य जीव प्रेमियों व आमजन द्वारा सराहा जा रहा है।
टाइगर रिज़र्व में पड़ने वाली वन चैकियों (बैरियर्स) को एक विशेष थीम पर रंगे जाने के सम्बन्ध में श्री पाण्डेय ने बताया कि यह पैटर्न सारे विश्व में बाघों से जोड़कर देखा जाता है। बाघों के शरीर पर दिखने वाली सुन्दर पट्टियों के रंग में रंगे हुए बैरियर्स को देखते हुए टाइगर्स रिज़र्व से गुज़रने वाले वाहनों, आमजन तथा वन्यजीव प्रेमियों के मस्तिष्क में यह बात घर कर जायेगी कि वह जिस पर्यावास से गुज़र रहे हैं, वह बाघ जैसे सुन्दर प्राणी का घर है। उन्होंने बताया कि मात्र इतनी छोटी सी बात से भी लोग टाइगर रिज़र्व से गुज़रते हुए जहाॅ सर्तक रहेंगे वहीं उनके वाहनों की स्पीड भी निर्धारित गति सीमा से अधिक नहीं होने पायेगी, और जहाॅ तक वन्य जीव प्रेमियों की बात है तो इससे इनका रोमांच दो-बाला हो जायेगा।
फील्ड डायरेक्टर श्री पाण्डेय ने बताया कि लगभग सभी टाइगर रिज़र्व में इस बात के संकेतांक लगे रहते हैं कि यह क्षेत्र टाइगर रिज़र्व है, परन्तु अक्सर लोग उन पर ध्यान नहीं देते या वह संकेतांक लोगों को इतना प्रभावित नहीं कर पाते। उन्होंने बताया कि दुधवा वृत्त अन्तर्गत आने वाले टाइगर रिज़र्व में बाघों के संरक्षण के दृष्टिगत अभिनव प्रयोग के तौर पर वन बैरियर्स को खास पैटर्न में रंगे जाने का प्रयोग किया जा रहा है, ताकि लोग इस शानदार प्राणी के महत्व को समझें और संरक्षण के लिए आगे आयें। श्री पाण्डेय ने बताया कि भविष्य में इस प्रयोग की सफलता को देखते हुए बाघ संरक्षण की दिशा में इसे और विस्तार प्रदान किया जायेगा।

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