पिछले चंद महीनों में मुल्क के अलग-अलग हिस्सों मे रेप के जो वाक्यात पेश आए हैं उनपर एक नजर डाली जाए तो यह कहना गलत न होगा कि हां हमारा और हमारे देश के लोगों का जमीर मर चुका है। कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ एक हफ्ते तक आधा दर्जन से ज्यादा दरिंदें हैवानियत करते रहे, उसको इतनी अजीयतें (यातनाएं) दीं कि उसके पूरे जिस्म में जख्म ही जख्म हो गए। कुछ ऐसी ही दरिंदगी गुजरात के सूरत में देखने को मिली, जहां ग्यारह साल की बच्ची को न सिर्फ रेप किया गया बल्कि उसे इतनी अजीयतें (यातनाएं) दी गईं कि पोस्ट मार्टम करते वक्त डाक्टरों ने उसके जिस्म पर अस्सी से ज्यादा जख्म गिनेे। बिहार के सासाराम में यही हुआ जहां हैवानियत का शिकार बनने वाली बच्ची की उम्र दस साल से कम थी। उत्तर प्रदेश के उन्नाव में भारतीय जनता पार्टी के मेम्बर असम्बली कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का इल्जाम लगाने वाली 17 साल की नाबालिग लड़की है। वह सेंगर की नजदीकी रिश्तेदार भी है। रेप का इल्जाम लगाने के बाद लड़की और उसके वालिद को पैरवी करने से रोकने और खामोश रहने की धमकी देने के बाद सेंगर के छोटे भाई अतुल सेंगर और उसके साथी गुण्डों ने लड़की के बाप को इतना मारा कि उनकी आंते तक फट गई और उनकी मौत हो गई। अभी पूरा देश इन मामलात में उलझा ही था इसी दरम्यान महाराष्ट्र से खबर आई कि गूंगे-बहरे बच्चों के हास्टल में रह रही छः से बारह साल तक की पन्द्रह बच्चियों को हास्टल के ही एक शख्स ने अपनी हवस का शिकार बना लिया। आखिर यह सब क्यों हो रहा है? लोग इतने बेजमीर क्यों होते जा रहे हैं?
2012 में दिल्ली में हुए निर्भया रेप मामले के बाद देश में सख्त कानून भी बन गया। अगर न भी बनता तो इस सिलसिले में पुराने कवानीन भी काफी सख्त हैं। आखिर इन सख्त कवानीन से लोग डरते क्यों नहीं? इसपर एक नजर डाली जाए तो वाजेह (स्पष्ट) होता है कि इसकी वजह सरकार में बैठे लोगों की बदनियती, प्रासीक्यूशन की बेईमानी और रेप का शिकार लड़कियों को जात-पात में तकसीम करके देखने का नजरिया है। जम्मू के कठुआ में जिस लड़की को रेप करने के बाद कत्ल किया गया वह एक गरीब बकरवाल गूजर की लड़की थी। उसे तो यह भी नहीं पता था कि हिन्दू-मुसलमान में फर्क क्या होता है। कुछ यही हाल गुजरात के सूरत, बिहार के सासाराम और महाराष्ट्र की गूंगी-बहरी बच्चियों का है। उनकी जान तो नहीं गई लेकिन वह बेचारी बता भी नहीं सकती कि उनके साथ किसने क्या किया। सबसे पहले कठुआ का मामला सामने आया वह भी इसलिए कि ग्यारह अप्रैैल को जब जम्मू क्राइम ब्रांच के सीनियर पुलिस कप्तान रमेश जाल्ला की कयादत (नेतृत्व) में तहकीकात करने वाली टीम चार्जशीट फाइल करने अदालत जा रही थी तो जम्मू के कुछ वकीलों, जम्मू बीजेपी के सेक्रेटरी विजय शर्मा और वहां के दो वजीरों चैधरी लाल सिंह और चन्द्र प्रकाश गंगा वगैरह की बनाई हुई तंजीम (संगठन) हिन्दू एकता मंच के गुण्डों ने पुलिस को चार्जशीट फाइल करने अदालत जाने से रोका और सड़कों पर हंगामा किया। महबूबा मुफ्ती ने धमकी दी कि हिन्दू एकता मंच में शामिल दोनों वजीरों ने अगर इस्तीफा नहीं दिया तो वह बीजेपी के साथ समझौता तोड़ देगी। अगर महबूबा धमकी न देती तो शायद दोनों आज भी वजीर होते। मीडिया खुसूसन टीवी चैनलों पर कठुआ रेप केस के सिलसिले में जबरदस्त हंगामा जरूर है लेकिन उस हंगामे में भी चैनलों ने इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार पर कोई धब्बा न लगने पाए। इसीलिए बेश्तर (अधिकांश) न्यूज चैनलों की ख्वातीन और मर्द एंकर रेप का शिकार बच्चियों के जिस्मों पर लगे जख्म ही गिनने का काम करते दिखते हैं। जो अस्ल जख्म मुल्क के जमीर, संविधान और मुल्क की पूरी खातून बिरादरी के जिस्म पर लगे हैं उनकी बात कोई नहीं करता। वह जख्म है रेप का शिकार लड़की को इंसाफ दिलाने के लिए कानूनी कार्रवाई में रूकावट डालने का। वह भी हिन्दुत्व के नाम पर मुल्क का कौमी परचम तिरंगे, भारत माता की जय और जय श्रीराम के नारों के साथ। इंतेहाई शर्मनाक बात है कि रेप के इतने भयानक वाक्यात के बावजूद मोदी वजारत की ख्वातीन वुजरा खुसूसन सबसे बडी ड्रामा क्वीन स्मृति मल्होत्रा जूबिन ईरानी की जबान से एक लफ्ज भी नहीं निकला। ख्वातीन और बच्चों की बहबूद की वजारत संभालने वाली मेनका गांधी बोली भी तो सिर्फ यह कहा कि बारह साल तक की बच्चियों से रेप करने के मुल्जिमान को फांसी की सजा देने के लिए रेप के मौजूदा कानून में तरमीम (संशोधन) किया जाएगा। सवाल यह है कि मौजूदा कानून भी कुछ कम सख्त नहीं है। उनपर अमल तो हो। अगर तीन बार भी फांसी की सजा का कानून बना दिया जाए और उनपर अमल न हो तो उस कानून का क्या मतलब है। मोदी हुकूमत आने के बाद मुल्क में एक नई तब्दीली यह आई है कि इस किस्म के ऐसे तमाम मामलात जिनमें मुल्जिमान का ताल्लुक आरएसएस, बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद वगैरह से होता है उन मामलात में गवाहों के बयानात भी तब्दील करा दिए जाते हैं और प्रासीक्यूशन (सरकारी वकील) मुल्जिमान की मदद करने लगता है। इस सवाल पर कोई बहस टीवी चैनल नहीं करा रहे हैं। वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने कठुआ और उन्नाव रेप मामलात पर जबान खोली तो यह कहा कि कोई मुल्जिम बख्शा नहीं जाएगा। बच्चियों को पूरा इंसाफ दिलाया जाएगा। उनकी इस बात पर किसी भी तरह यकीन (विश्वास) नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि इसी तरह का बयान तो उन्होंने दलितों के मारे जाने पर दिया था। उनकी अपनी जमाअत के गुण्डों ने गाय के बहाने कई मुसलमानों को पीट-पीट कर मार दिया तब भी उन्होेने कहा था कि गाय के नाम पर किसी की जान लेना इस देश को मंजूर नहीं है। लेकिन एक भी मामले में उनकी सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की और उन्होने इस किस्म के मामलात में मुलव्विस बीजेपी के एक भी लीडर को पार्टी से निकालना तो दूर मोअत्तल तक नहीं किया। तकरीबन तीन दर्जन बीजेपी लीडरान पूरे मुल्क में ऐेसे हैं जिनके खिलाफ रेप के मामलात दर्ज हैं मोदी और अमित शाह ने एक को भी बाहर का रास्ता नहीं दिखाया है। सरकार की नाइंसाफी से परेशान होकर हैदराबाद युनिवर्सिटी के एक दलित रिसर्च स्कालर रोहित वेमुला ने खुदकुशी की तो वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने जज्बाती होने का ड्रामा करते हुए बयान दिया था कि ‘मां भारती ने अपना एक लाल खो दिया। ’ मां भारती के उस लाल की फिक्र मोदी को इतनी थी कि उनके बयान के बाद उनकी पूरी सरकार यह साबित करने में जुट गई कि रोहित वेमुला तो दलित था ही नहीं। नरेन्द्र मोदी के बयानात और अमल में कोई मेल नहीं होता। इसलिए उनकी बात पर यकीन करने का कोई सवाल ही नहीं है। हमें यह हकीकत भी नहीं भूलनी चाहिए कि हिन्दू-मुस्लिम और छोटी जात व बड़ी जात के बहाने औरतों और बच्चियों की इज्जत लूटने का सिलसिला 2002 में गोधरा हादसे के बाद गुजरात में हुए इंसानियत मुखालिफ फसादात से ही शुरू हुआ था। अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ बने हिन्दुत्व के ठेकेदार खुद डायस पर बैठे थे और हिन्दू युवा वाहिनी का सदर चीख-चीख कर मुस्लिम लड़कियों को कब्र से निकाल कर रेप करने की धमकियां दे रहा था। खुद आदित्यनाथ ने अपनी एक तकरीर में हिन्दुओं से कहा कि अगर वह (मुसलमान) लव जेहाद के जरिए तुम्हारी एक बेटी ले जाए तो तुम उनकी सौ ले आओ। यह ख्यालात रखने वाले आदित्यनाथ को नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश का चीफ मिनिस्टर बना दिया। कठुआ रेप केस की चार्जशीट अदालत में दाखिल करने से रोकने का काम हिन्दू एकता मंच ने किया। वह भी जय श्रीराम, भारत माता की जय के नारों के साथ तिरंगा लहराते हुए। ऐसी सूरत में रेप के मामलात रूकेेेगे नहीं बल्कि उनमें इजाफा ही होगा। आखिर वह कौन हिन्दू हैं जो रेप के मुल्जिमान की हिमायत में जयश्रीराम और भारत माता की जय बोलतेे हैं और तिंरगा लहरा कर पूरे मुल्क की तौहीन करते हैं। इसके बावजूद मोदी हुकूमत ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करती। ढ़ोंग और मक्कारी के इस माहौल में रेप जैसे घटिया वाक्यात रोके नहीं जा सकते। हां अपने और देश के मुर्दा जमीर पर मातम जरूर किया जा सकता है।
व्हाट्सएप पर शेयर करें
No Comments






