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Saturday, June 28, 2025 9:55:11 AM

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अराफात पेट्रो कैमिकल्स के निदेशकों के खिलाफ 387 करोड़ की चोरी का मुकदमा दर्ज

अराफात पेट्रो कैमिकल्स के निदेशकों के खिलाफ 387 करोड़ की चोरी का मुकदमा दर्ज

कोटा कलेक्ट्रेट पर 18 फरवरी से धरने पर बैठे जेके फैक्ट्री के मजदूरों की एक और मांग पूरी

बकाया भुगतान की मांग को लेकर अभी भी धरना जारी

इटावा में निर्माण मजदूरों मनाया जीत का जश्न

कोटा/ इटावा। कोटा विकास प्राधिकरण द्वारा एक दिन पहले जिस अराफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री को अपने कब्जे में लिया था उस फैक्ट्री के निदेशकों के खिलाफ उद्योग नगर थाने में 387 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी व चोरी का मुकदमा दर्ज किया है। इस मामले में पुलिस ने जांच शुरु कर दी है।
इंद्रा गांधी नगर निवासी इंद्रमल जैन ने उद्योग नगर थाने में दी गई रिपोर्ट में बताया कि मैसर्स जे.के. सिंथेटिक लिमिटेड फैक्ट्री के बंद होने के बाद औद्योगिक और वित्तीय पुनर्रचना अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा 23 जनवरी 2003 व संशोधित आदेश 7 जनवरी 2005 के अनुसार स्वीकृत योजना में जेके फैक्ट्री की 427 करोड़ की बेशकीमती भूमि, भवन, प्लांट व मशीनरी और अन्य सम्पत्तियां इस आधार पर अराफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को अंतरित करने की स्वीकृति दी गई थी कि अराफात द्वारा 55 से 60 करोड़ रुपए सेटलमेंट राशि के रूप में दिए जाएंगे। इसमें से 43.69 करोड़ रुपए फैक्ट्री में कार्यरत श्रमिकों व कार्मिकों को भुगतान किया जाएगा। शेष 15 करोड़ रुपए से जेके फैक्ट्री के दायित्वों का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा
दोनों फैक्ट्री संचालकों द्वारा ज्वाइंट वेंचर बनाया जाएगा। जिसके तहत कोटा में जेके की सभी यूनिट फैक्ट्रियों को संचालित किया जाएगा। जिससे कोटा क्षेत्र का औद्योगिक विकास हो। साथ ही जेके के श्रमिकों सहित अन्य योग्य व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। रिपोर्ट में लिखा कि इस तरह से अराफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को जेके फैक्ट्री की भूमि, भवन, प्लांट व मशीनरी और अन्य
सम्पत्तियां उद्योग को चलाने व रोजगार के लिए दी गई थी। लेकिन 24 जून को सरकार द्वारा अराफात पेट्रो कैमिकल्स को हस्तांतरित भूमि अपने कब्जे में लेने के बाद जानकारी में आया कि भूमि व भवन तो उपलब्ध है। लेकिन अराफात के निदेशकों ने जेके फैक्ट्री के प्लांट व मशीनरी को चोरी छिपे बेचकर खुर्द-बुर्द कर दिया है। स्वीकृत स्कीम के अवलोकन से स्पष्ट है कि प्लांट व मशीनरी का मूल्य करीब 387 करोड़ रुपए था।
ऐसे में अराफात के निदेशकों व अधिकारियों द्वारा धोखाधड़ी करके फैक्ट्री के पुर्नसंचालन के लिए प्राप्त 387 करोड़ के प्लांट व मशीनरी को बेईमानी से बेच दिया गया है। ऐसे में इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। परिवादी इंद्रमल जैन अराफात के निदेशकों सूरत गुजरात निवासी मोहम्दिन मोहम्मद उमर जनरल, मोहम्मद यूसुफ मोहम्मद सफी लिलिमवाला, मोहम्मद जुनेद मोहम्मद उमर जनरल बी व अन्य अधिकारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दी गई है। इस मामले में मामले में पुलिस ने धारा 379, 380, 420, 406, 467, 468, 471 में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। जांच अधिकारी उद्योग नगर थाना अधिकारी जितेन्द्र सिंह ने बताया कि अराफात के निदेशकों व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। गौरतलब है कि केडीए ने एक दिन पहले अरफात फैक्ट्री की 227 एकड़ जमीन जिसकी कीमत करीब 2 हजार करोड़ रुपए है को अपने कब्जे में ले लिया था। उस पर से अरफात फैक्ट्री के बोर्ड हटाकर केडीए के बोर्ड लगा दिए गए हैं।

पुलिस उप अधीक्षक को सौंपी जांच

वहीं अराफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों के खिलाफ दर्ज फर्जी दस्तावेज तैयार कर चोरी छिपे फैक्ट्री के प्लांट व मशीनरी को बेचकर 387 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के मामले की जांच अब पुलिस उप अधीक्षक करेंगे। शहर पुलिस अधीक्षक डॉ. अमृता दुहन ने मामले की जांच उप अधीक्षक लोकेन्द्र पालीवाल को सौंपी है। जबकि एक दिन पहले दर्ज हुए मुकदमे में जांच अधिकारी उद्योग नगर थानाधिकारी जितेन्द्र सिंह को नियुक्त किया था। पुलिस अधीक्षक अमृता दुहन ने बताया कि अराफात निदेशकों के खिलाफ 387 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज हुआ है। यह बड़ा मामला है। बड़े मामले की जांच उच्च स्तर के अधिकारी से करवाने पर उसकी गुणवत्ता बनी रहती है। इसलिए जांच सीआई के स्थान पर उप अधीक्षक को दी है।
इधर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस मामले से संबंधित दस्तावेज एकत्र किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि एक दिन पहले इंद्रा गांधी नगर निवासी इंद्रमल जैन ने अरफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों व अधिकारियों के खिलाफ फैक्ट्री के प्लांट व मशीनरी को चोरी छिपे बेचने व 387 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने की रिपोर्ट उद्योग नगर थाने में दी थी। जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। वहीं दो दिन पहले जिला कलक्टर के आदेश पर कोटा विकास प्राधिकरण ने फैक्ट्री व उसकी सम्पति को अपने कब्जे में लेकर उस पर सम्पति केडीए का बोर्ड लगाया था। सूत्रों के अनुसार अब जेके (अराफात फैक्ट्री) की सम्पति सरकार की हो गई है। सरकार इस जगह पर चाहे तो नया उद्योग लगा सकती है, या फिर इसका अन्य उपयोग भी किया जा सकता है।

बकाया भुगतान की मांग को लेकर धरना जारी

वहीं सीटू मीडिया प्रभारी मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि मंगलवार को जिला प्रशासन द्वारा जेके फैक्ट्री की लीज आराफात से रद्द करवाने के बाद जेके मजदूरों में बकाया वेतन भुगतान के संघर्ष को ताकत मिली है।सीटू के मजदूर नेताओं की जीत पर धरने के संचालक मजदूर नेता हबीब खान, उमाशंकर, नरेंद्र सिंह ने कहा कि जब तक सरकार बकाया वेतन भुगतान नहीं करवा देती तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। वहीं जेके मजदूरों के संघर्ष की कामयाबी पर निर्माण मजदूरों ने इटावा में नारेबाजी कर जश्न मनाया।

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