18 फरवरी से धरने पर बैठे जेके मजदूरों की बड़ी जीत
लीज निरस्त होने के बाद केडीए ने अराफात के बजाय लगाया अपनी सम्पत्ति का बोर्ड
कोटा/ इटावा। बकाया भुगतान की मांग को लेकर 18 फरवरी से कोटा कलेक्ट्रेट पर धरने पर बैठे जेके फैक्ट्री के मजदूरों को मंगलवार को बड़ी जीत मिली है।
धरना संचालक कॉमरेड हबीब खान ने बताया कि जेके मजदूरों की प्रमुख मांग को मानते हुए सरकार ने जेके फैक्ट्री की जमीन को अपने अधीन कर लिया है। साथ ही प्रशासन ने भी अब फैक्ट्री से अराफात के नाम के बोर्ड हटा लिए हैं। 4 माह से अधिक समय से संघर्षरत मजदूर इसे अपनी बड़ी कामयाबी के रूप में देख रहे हैं।
मजदूरों में दौड़ी खुशी की लहर
127 वें दिन मंगलवार को धरने पर एडवोकेट मोहम्मद अकरम ने अराफात से लीज डीड रद्द करने और फैक्ट्री पर लगे अराफात के नाम के बोर्ड हटाने की सूचना धरने पर बैठे मजदूरों दी तो उनमें खुशी की लहर दौड़ गई। मजदूरों ने नारेबाजी करते हुए धरना स्थल पर ही जीत का जश्न मनाया। एक दूसरे को मिठाई खिलाकर जीत की बधाई दी। वहीं धरने के संचालक कॉमरेड हबीब खान बताया कि यह पिछले 28 साल से संघर्ष कर रहे मजदूरों की बड़ी जीत है। लेकिन भुगतान होने तक अभी धरना जारी रखा जाएगा।
123वें दिन धरने पर ये रहे मौजूद
सीटू मीडिया प्रभारी व महामंत्री मुरारीलाल बैरवा ने बताया कि 123 वें दिन धरने पर एडवोकेट मोहम्मद अकरम, जेके की तीनों मजदूर यूनियनों के नेता हबीब खान, उमाशंकर, नरेंद्र सिंह, किसान नेता दुलीचंद बोरदा, अशोक सिंह, कालीचरण सोनी, अली मोहम्मद, मदन मोहन शर्मा, हनुमान सिंह, सतीश त्रिवेदी सहित दर्जनों मजदूर मौजूद रहे।
केडीए ने लगाया अपनी सम्पत्ति का बोर्ड
राजस्व ग्राम कंसुआ जेके नगर स्थित अराफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की जमीन को मंगलवार को केडीए ने अपने कब्जे में लेकर उस पर केडीए की सम्पत्ति का बोर्ड लगा दिया है। लाड़पुरा तहसीलदार राजवीर सिंह ने बताया कि 1972 में करीब 227 एकड़ जमीन जेके को उद्योग लगाने के लिए दी गई थी। उस समय 7 लीज तैयार की गई थीं। जिसकी शतों के अनुसार यहां भारी उद्योग लगाए जाने थे। बाद में यह जमीन अरफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के पास चली गई थी। कांग्रेस सरकार के समय में यहां भूखंड काटे जा रहे थे। जिसका मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था। लेकिन लीज शर्तों का उल्लंघन करने पर सभी 7 लीज को निरस्त कर दिया गया था। इधर कोटा विकास प्राधिकरण के सचिव कुशल कुमार कोठारी ने बताया कि अरफात पेट्रो कैमिकल्स की लीज समाप्त होने के बाद कम्पनी के कब्जे की 100 हैक्टेयर जमीन को केडीए ने अपने कब्जे में ले लिया है। केडीए की उप सचिव मालविका त्यागी, तहसीलदार हिम्मत सिंह, सुरेन्द्र शर्मा, जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक हरिमोहन शर्मा, एएसपी दिलीप सैनी लाड़पुरा एसडीएम व तहसीलदार राजवीर सिंह समेत अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में केडीए ने फैक्ट्री की जमीन को अपने कब्जे में लेकर उस पर अपनी सम्पत्ति का बोर्ड लगा दिया।
2 हजार करोड़ रुपए है जमीन की बाजार कीमत
केडीए सचिव ने बताया कि करीब 100 हेक्टेयर जमीन की बाजार कीमत करीब 2 हजार करोड़ रुपए है। सूत्रों के अनुसार जेके से अरफात के पास आने के बाद इस फैक्ट्री की जमीन पर उद्योग की जगह इसका भू उपयोग परिवर्तन कर यहां भूखंड काटने की योजना थी। जिसके बारे में एक पूर्व मंत्री द्वारा शिकायत की गई थी। जिसमें कहा गया था कि फैक्ट्री की जमीन का भू उपयोग परिवर्तन नियम विरुद्ध किया जा रहा है।उसके बाद मामला आगे बढ़ा। शर्तों का उल्लंघन पाए जाने पर लीज को निरस्त किया गया। जिसके बाद केडीए ने कब्जा प्राप्त किया।
ट्रेड यूनियनों ने किया स्वागत
मैसर्स अरफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम ट्रांसफर की गई जेके उद्योग समूह की 227.15 एकड़ भूमि की लीज डीड निरस्त कर उसे अपने कब्जे में लेने के निर्णय का ट्रेड यूनियनों ने स्वागत किया है।
राजस्थान ट्रेड यूनियन केन्द्र कोटा के संभागीय अध्यक्ष राजेंद्र दीक्षित व प्रदेश उपाध्यक्ष और संभागीय महासचिव तारकेश्वर नाथ तिवारी ने बताया कि जेके उद्योग समूह कोटा के उद्योगों को पुनर्संचालन के नाम पर शर्तों के साथ मैसर्स अरफात पेट्रो कैमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को दी गई थी। उद्योगों की 227.15 एकड़ भूमि की शर्तों की पालना न किए जाने के परिणाम स्वरूप जिला प्रशासन ने लीज डीड निरस्त करते हुए मैसर्स अरफात पेट्रो कैमिकल्स का बोर्ड हटाकर कोटा विकास प्राधिकरण का बोर्ड लगा दिया है। जब तक जेके उद्योग समूह की ओर से कोटा व झालावाड़ के श्रमिकों और कर्मचारियों की न्यायोचित लेनदारियों का भुगतान नहीं हो जाता, लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन की यह कार्रवाई 15-20 वर्ष पूर्व ही हो जानी चाहिए थी। इधर अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (एआईसीटीयू) की प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष देवराज सिंह और महासचिव घासीलाल घण्डोदिया ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा कब्जा प्राप्त करना स्वागत योग्य कदम है। इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले में जेके उद्योग समूह के कारखाना बंदी के शिकार मजदूरों को उनके न्यायोचित अधिकार व बकाया राशि दिलाने के लिए राज्य सरकार को पहल करने के बारे में भी कई जगह स्पष्ट रूप से लिखा गया है। एआईसीटीयू ने इसे गत चार माह से सीटू के नेतृत्व में धरने पर बैठे संघर्ष रत श्रमिकों की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि बकाया राशि के मिलने तक मजदूरों की एकता और आंदोलन जारी रखा जाए।
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