शाहजहांपुर। स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय में मिशन शक्ति के अंतर्गत सुबह के सत्र में सुबह बजे महिला शिक्षा और महिला के संवैधानिक अधिकारों के विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। ज्ञात हो 'मिशन शक्ति' आगामी 25 अक्टूबर तक चलेगा और अप्रैल 2021 तक हर महीने एक हफ्ते के लिए मिशन शक्ति का संचालन किया जाएगा”
इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में शिक्षक शिक्षा विभाग की अध्यक्ष डॉ मीना शर्मा ने शिक्षा के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को प्रस्तुत करते हुए बताया, “प्राचीन भारत में जिस तरह की शिक्षा व्यवस्था का निर्माण किया गया था वह आज के विश्व की शिक्षा व्यवस्था से बहुत बेहतर व उत्कृष्ट थी लेकिन शनै शनै भारतीय शिक्षा का व्यवस्था ह्रास हुआ। विदेशियों ने यहाँ की शिक्षा व्यवस्था को उस अनुपात में विकसित नहीं किया, जिस अनुपात में होना चाहिये था और धीरे धीरे शिक्षा अपने रसातल में चली गयी। १८५० तक भारत में गुरुकुल की प्रथा चलती आ रही थी पर धीरे धीरे यह व्यवस्था समाप्त हो गयी। नई शिक्षा नीति में स्त्री शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान हैं किंतु सबसे अधिक जरूरत इस बात की है कि हम अभिभावक होने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेवारी को समझें तब ही सारी नीतियां सफल होंगी”
कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट वक्ता राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ आदित्य कुमार सिंह ने भारतीय संविधान में महिलाओं के अधिकार के प्रावधानों पर अपने विचार करते हुए कहा, भारत मे महिलाओं के लिए संवैधानिक उपबंध किये गए हैं मसलन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार ‘‘भारत राज्य क्षेत्र के किसी ब्यक्ति को विधि के समक्ष समता से अथवा विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं किया जाएगा। ‘‘ इसी प्रकार अनुच्छेद – 19 में महिलाओं को स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है, ताकि वह स्वतंत्र रूप से भारत के क्षेत्र में आवागमन, निवास एवं व्यवसाय कर सकती है। स्त्री लिंग होने के कारण किसी भी कार्य से उनको वंचित करना मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना गया है। तथा ऐसी स्थिति में कानून की सहायता हो सकेगी। ” इसके अलावा अनुच्छेद 42, 46, 51, 243, आदि में महिलाओं के लिए विशेष उपबंध हैं,”
इस अवसर पर महाविद्यालय के शारिरिक शिक्षा विभाग के प्राध्यापक प्रांजल शाही ने सभी प्रतिभागियों को महिला सुरक्षा की शपथ दिलाई।
सांध्य सत्र में महाविद्यालय के शारिरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष डॉ अजीत सिंह द्वारा बालिकाओं को आत्म सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया गया। डॉ चारग ने बालिकाओ को इस अवसर पर आत्म रक्षा की अनेकों तकनीकों के जानने के महत्त्व को बताया और साथ ही साथ जरूरी टिप्स भी डॉ चारग ने आत्मरक्षा की सात महत्त्वपूर्ण तकनीकों को वीडियो के माध्यम से साझा कर समझाया।
इसके उपरांत अंग्रेजी विभाग की प्रवक्ता डॉ गीतांजली ने “महिला सुरक्षा में नैतिक मूल्यों की भूमिका” विषय पर प्रतिभागियों के मध्य अपने विचार रखते हुए कहा, “नैतिक मूल्य सिद्धांतों का एक ऐसा समूह है जो हमारे सारे जीवन भर मार्गदर्शन करते है। नैतिक मूल्यों से हम अपने जीवन का नेतृत्व कर स्वयम को सही रास्ते पर ले जाते हैं। जीवन के आरंभिक दिनों से नैतिक मूल्यों को लागू करने से बालक और बालिका को सही और गलत में विभेद करने में मदद मिलती है। शिक्षा मूल्यों का खजाना है परन्तु नैतिक मूल्यों की शिक्षा घर परिवार से प्रारम्भ होती है। जैसा बीज बोया जाएगा वैसे फल की प्राप्ति होगी। अतः हर परिवार को श्रेष्ठ नैतिक मूल्यों का बीज अपने बालकों में बोना होगा। शिक्षा नवीनता लाती है। महिलाओं के प्रति हमे संवेदनशील होने से पूर्व नैतिक मूल्यों के प्रति सजग होना पड़ेगा”
कार्यक्रम के अंत मे हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रमोद कुमार यादव ने सभी का आभार व्यक्त किया।
Janpad Shahjahanpur se jitendra Kumar Kashyap ki report
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