शाहजहांपुर छात्रा के बयान से पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री चिन्मयानंद को राहत मिलेगी या नहीं यह तो कोर्ट तय करेगी, लेकिन उनसे पांच करोड़ की ब्लैकमेलिग के आरोपित युवकों की मुश्किलें जरूर बढ़ेंगी। कोर्ट में छात्रा के बयानों के बाद उन्होंने वकीलों से संपर्क शुरू कर दिया है। छात्रा ने कहा है कि उसने कुछ अराजक तत्वों के दबाव में यह सब किया था। वे अराजक तत्व कौन हैं यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है।
ब्लैकमेलिंग के आरोपितों में तिलहर के बंथरा गांव निवासी संजय सिंह छात्रा का दोस्त है। जबकि विक्रम उर्फ दुर्गेश उसके ताऊ का बेटा है, जो गांव में ही रहता है। सचिन सेंगर उर्फ सोनू गाजियाबाद के कौशांबी के ब्लॉक सुपरटेक स्टेट सेक्टर नौ का रहने वाला है। चिन्मयानंद के मोबाइल पर पांच करोड़ की रंगदारी भेजने का मुख्य आरोप संजय सिंह पर था। सचिन पर पत्रकार बनकर मामले में चिन्मयानंद से डील करने के प्रयास का आरोप था। इस साजिश में उसके साथ विक्रम सिंह व छात्रा को भी आरोपित बनाया गया था। चारों का एक कार में बातचीत व होटल में खाना खाने का वीडियो भी वायरल हुआ था। एसआइटी ने अपनी जांच व फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट के आधार पर चारों पर धारा 385 के तहत रंगदारी, 506 में धमकी देने, 201 में सुबूत नष्ट करने व 67 आइटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
चुनाव लड़ने की तैयारी में संजय
चिन्मयानंद से ब्लैकमेलिग के आरोपित संजय सिंह ने चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। संजय ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट डाली है, जिसमें उसने स्वयं के लिए जिला पंचायत के वार्ड नंबर 42 से सदस्य पद के लिए लोगों का समर्थन व सहयोग मांगा है। विक्रम सिंह शहर में परिवार के साथ रह रहा है। जबकि सचिन सेंगर गाजियाबाद में है।
क्या कहते हैं अधिवक्ता
अगर किसी मुकदमे के दौरान न्यायिक कार्यवाही में कोई मिथ्या साक्ष्य प्रस्तुत करता है तो उस पर सीआरपीसी की धारा 340 के तहत न्यायालय अलग से ट्रायल चलाता है। न्यायालय को लगता है कि अगर बोला गया झूठ ज्यादा गंभीर नहीं है तो संबंधित पर सीआरपीसी की धारा 344 में कार्रवाई होती है, जिसमें तीन माह की सजा या पांच सौ रुपये जुर्माना लग सकता है, लेकिन अगर न्यायालय की नजर में बोला गया झूठ गंभीर है तो पूरा ट्रायल चलता है। इसमें अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। इस प्रकरण में छात्रा के बयान को लेकर न्यायालय निर्णय लेगा। जहां तक दुष्कर्म के आरोप का सवाल है तो अब न्यायालय सभी तथ्यों व परिस्थितियों को ध्यान रखते हुए निर्णय लेगा।
आशीष त्रिपाठी, अपर जिला शासकीय अधिवक्ता
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