मेरा सपना है, वैज्ञानिक बनने का और इस सपने को सच करने के लिए क्लास 8 से छोटे-मोटे इन्वेंशन करता आ रहा हूं, और आगे भी मैं करूंगा, जब तक मैं सपने को सच ना कर दूं, मैं बहुत से इंवेंशन कर चुका हूं, जिसमें कुछ इन्वेंशन देश के लिए हितकारी साबित हो सकते हैं, मेरा कक्षा 8 से शुरू हुई, सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा प्रोजेक्ट जिसका सफल प्रयास दिखा, कक्षा 12 में यह एक मेरा छोटा इंवेंशन था, जिसको दिखाने का अवसर मिला, विज्ञान प्रौद्योगिकी उत्तर प्रदेश लखनऊ में हो रही, अब्दुल कलाम जी के जन्म दिवस के दिन विज्ञान प्रदर्शनी में मैंने अपने बैलगाड़ी प्रोजेक्ट को प्रस्तुत किया, जिसका सराहना करते हुए, मुझे उत्तर प्रदेश के 5 टॉप बाल वैज्ञानिकों में एक चुना गया। और नवप्रवर्तन पुस्तिका प्रकाशित हुई, जिसमें मेरे बैलगाड़ी प्रोजेक्ट को दर्शाया गया। जिससे गांव के बच्चों को प्रेरणा मिल सके, की एक छोटा इन्वेंशन भी बड़ी कामयाबी का एक हिस्सा बन सकता है। इसी तरीके से मैंने बॉर्डर सुरक्षा प्रोजेक्ट भी तैयार किया। जिसका सराहना नक्षत्र शाला गोरखपुर मैं हुआ। और मैंने फ्री एनर्जी डिवाइस प्रोजेक्ट भी तैयार किया। जिसको मैंने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी लखनऊ में प्रस्तुत किया। इस प्रोजेक्ट को माननीय राष्ट्रपति महोदय रामनाथ गोविंद जी ने भी सराहनीय किया। और मेरे कुछ प्रोजेक्टों को ब्यूटी क्वीन तेजस्विनी सिंह ने देखा और देखने के बाद मेरा उत्साहवर्धन करते हुए, अपने कर्ण टीम का लीडर घोषित किया। इसी प्रकार मेरा सपना सच होते हुए, मुझे दिख रहा है, और मुझे या भी लग रहा है, कि मैं अपना सपना सच कर सकता हूं, और मैंने या निर्णय लिया कि मैं अपने देश हितकारी मशीनों का आगे भी निर्माण करूंगा, और अपने जैसे – गांव के बाल वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन भी करूंगा। की मैं अगर गांव से निकलकर देश के लिए कुछ कर सकता हूं, तो आप सभी भी कर सकते हैं, इसी प्रकार मैंने खुद का एक बलरामपुर विज्ञान यूथ क्लब बनाया। जिसमें आज कई बाल वैज्ञानिकों ने मेरे सपनों को सच करके दिखाया। जैसे-आशीष पाठक ने विभिन्न मशीनों का निर्माण किया। और कई जगह से सम्मानित हुए। और इसी प्रकार शिवम चौधरी ने भी कई मशीनों का निर्माण किया, और यह भी कई जगहों से सम्मानित हुए। यह दोनों बुंदेलखंड के बांदा जिले के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मिस्टर हीरालाल से भी सम्मानित हैं। और नितिन त्रिपाठी, अमन आर्य, अवनीश पाठक, दिव्यांशी गुप्ता, सुभाष कसौधान, दाऊ रस्तोगी, ऐसे कई बाल वैज्ञानिकों ने मेरे संरक्षण में रहते हुए। अपना नाम रोशन किया। इसी प्रकार से मैं नए बाल वैज्ञानिकों का उत्साहवर्धन करता हूं, और आप सभी से यह आग्रह करता हूं, कि मेरा जिस तरीके से हो सके मेरा सपोर्ट करें, और जिससे मुझे लोगों का सहयोग मिल सके, और सभी का मार्गदर्शन मिलने का अवसर प्राप्त हो। और इस बार 25 जनवरी को आओ विज्ञान करके सीखे। पत्रिका में कुछ मेरे बारे में लिखा गया है जिससे बच्चों को प्रेरणा मिल सके।
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