शाहजहांपुर Iसेहरामऊ दक्षिणी के युवाओं से सीखिए। कोई मजदूरी करता है। कोई दुकान पर काम करता है। कोई दुकान चलाता है। कोई किराना व्यापारी है। कोई दिल्ली में नौकरी करता था। कोई हरिद्वार में फैक्ट्री में काम करता था। सभी मजदूरी पर काम करने वाले लोग हैं पर उनकी भावना कितनी बड़ी है lएक छोटी सी बात से जरूर जान लीजिएगा। अलग अलग काम करने वाले, नौकरी करने वाले सेहरामऊ दक्षिणी के युवाओं ने अपने सामर्थ्य के अनुसार प्रधानमंत्री कोरोना राहत कोष में दस रुपए से लेकर दस हजार रुपए तक भेजे हैं। यह सब ऐसे लोग हैं, जिनके घर का शाम को चूल्हा जलेगा या नहीं lउन्हें भी नहीं मालूम है, पर मानवता क्या होती हैlइसका वह उदाहरण हैं। इन्होंने बताया है कि दान से बड़ी भावना होती है। रुपये से बड़ी देशभक्ति होती है। मुश्किल समय में एकजुटता जरूरी होती है। यह सभी युवक निश्तिच तौर पर समाज को एक नई दिशा देने वाले साबित हो रहे हैं।
भारत देश को इन युवकों के बारे में तब पता लगा जब सेहरामऊ दक्षिणी के निवासी टीचर उदित प्रताप सिंह से चर्चा हुई। उदित जागरुक व्यक्ति हैं। यह वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने दिल्ली से अपने घरों को जा रहे लोगों की ओर मीडिया का ध्यान आकृष्ट कराया था। उदित ने बताया कि उनके गांव के युवाओं ने दस रुपए से लेकर दस हजार रुपए तक कोरोना के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में अपना अंशदान दिया है। यहीं से दिलचस्पी बढ़ना बेहद स्वाभाविक था। कैसे, कौन, कब, क्या और न जाने क से शुरू होने वाले सवाल उदित से हमने किए। उदित हर सवाल का जवाब देते जा रहे थे। हमारी इच्छा उन युवकों से मिलने की हो रही थी। वह युवक क्या करते हैं, कितना पढ़े हैं, उनके हालात कैसे हैं, वह कैसे रहते हैं, उन्होंने ऐसा क्या सोच कर किया…इन सभी सवालों के जवाब उदित के पास थे। वह बताते जा रहे थे। हालांकि उदित उनके भाई अमित, रिटायर पिता पदम सिंह ने एक-एक दिन का वेतन और पेंशन और अन्य बचत से प्रधानमंत्री कोरोना रिलीफ फंड में दान दिया है।
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