पीलीभीत। पुरुष और महिला अस्पताल के दोनों सीएमएस और डॉक्टरों के बीच आइसोलेशन वार्ड बनाने और उसमें ड्यूटी करने को लेकर पिछले कुछ दिनों से खींचतान चल रही है। इससे कोरोना की स्क्रीनिंग को आने वाले लोग और जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में क्वारंटीन किए गए लोगों की देखभाल नहीं हो पा रही है। न तो उनको टाइम पर खाना मिल रहा है, न ही स्टाफ ठीक से उन्हें देख रहा है। दूसरी ओर डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने को लेकर भी मतभेदों की शिकायत शासन तक पहुंच गई हैं। इसका सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ रहा है।
कोरोना संक्रमण फैलने के बाद जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। इसी क्रम महिला अस्पताल में भी आइसोलेशन वार्ड बना था। इसमें पुरूष अस्पताल के सीएमएस डॉ. रतनपाल सिंह सुमन की पत्नी डॉ. सुधा की ड्यूटी लगाई गई थी। जिला महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अनीता चौरसिया के मुताबिक डॉ. सुधा ने ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। इस पर उन्हें नोटिस भी दिया गया है, इसके बावजूद उन्होंने अब तक आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। महिला अस्पताल की सीएमएस ने एडी हेल्थ को पत्र भी लिखा था।
इससे पहले ही अस्पताल में डॉक्टरों की ड्यूटी लगाने को लेकर महिला और पुरुष अस्पताल के सीएमएस खींचतान चल रही थी। इसका असर अन्य डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के मनोबल पर भी पड़ रहा है। अधिकांश डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ मन से आइसोलेशन वार्ड में क्वारंटीन वाले मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं। गुटबाजी में उलझे डॉक्टर उन मरीजों की स्क्रीनिंग भी नहीं कर रहे हैं, जो कोरोना संक्रमण के शक में अपना टेस्ट कराना चाहते हैं।
स्क्रीनिंग को रात भर भटकता रहा मरीज
तीन दिन पहले मुम्बई से आया युवक रात भर अपना कोरोना टेस्ट कराने के लिए इधर से उधर घूमता रहा। किसी डॉक्टर ने उसका टेस्ट नहीं किया। न ही स्क्रीनिंग की। यह बात जब उसने उच्चाधिकारियों को बताई तो खलबली मचने के बाद सुबह 10 बजे उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।
फर्श पर तड़पकर मर गई महिला
ऐसे ही डॉक्टरों ने कोरोना संदिग्ध समझकर गजरौला क्षेत्र के बिठौरा कला गांव की सुशीला देवी का इलाज करने से मना कर दिया। डॉक्टरों की मनमानी और अफसरों की खींचतान में उस गरीब महिला ने फर्श पर तड़पते हुए दम तोड़ दिया। महिला की मौत में लापरवाही बरतने वालों कार्रवाई नहीं हो सकी है। हालांकि मामला मीडिया में उछलने के बाद मजिस्ट्रेट जांच शुरू हुई। अगर कोई मरीज अस्पताल में सामान्य इलाज के लिए आता है तो उसे इलाज नहीं मिल पाता। न ही डॉक्टर उसे देखते हैं। पूरे अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चौपट हैं। मजबूरी में बाहर से आने वाले मरीज चोरी छिपे प्राइवेट डॉक्टरों को दो से तीन गुनी महंगी फीस देकर इलाज करा रहे हैं।
अस्पताल में किसी भी मरीज को कोई परेशानी नहीं होने दी जा रही है। आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग कराई जा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भी लापरवाही नहीं बरती जा रही है। हम अपने काम को लेकर सजग हैं। – डॉ. रतनपाल सिंह सुमन, सीएमएस, जिला पुरुष अस्पताल
अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड गर्भवती महिलाओं के लिए बनाया गया है। इसके अलावा आने वाले मरीजों का हमेशा की तरह परीक्षण कर उनका इलाज किया जा रहा है। ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले पर सख्त कार्रवाई होगी। -डॉ. अनीता चौरसिया, सीएमएस महिला अस्पताल
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