पीलीभीत। कोरोना संक्रमितों को रखने के लिए महिला अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में डॉ. सुधा के ड्यूटी ज्वाइन न करने पर पुरुष और महिला अस्पताल के सीएमएस आमने-सामने आ गए हैं। दोनों ने एक दूसरे पर निशाना साधा। पुरुष अस्पताल के सीएमएस ने कहा कि शासन से पत्र आया है। इसमें महिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड न बनाने की बात कही गई क्योंकि वहां प्रसव की महिलाओं का इलाज होता है। फिर भी वहां आइसोलेशन वार्ड क्यों बनाया गया। महिला सीएमएस डॉ. अनीता चौरसिया ने इसका कड़ा प्रतिवाद किया। दोनों के बीच ड्यूटी पर वाकयुद्ध शुरू हो गया। डॉ. सुधा पुरुष अस्पताल के सीएमएस डॉ. रतनपाल सिंह सुमन की पत्नी हैं। महिला अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में डॉ. सुधा के ड्यूटी ज्वाइन न करने पर महिला अस्पताल की सीएमएस ने एडी हेल्थ को पत्र लिखकर कार्रवाई की संस्तुति की है। इससे पुरुष अस्पताल के सीएमएस उनसे नाराज हो गए। दोनों सीएमएस अब इस मुद्दे को लेकर आमने-सामने हैं। पुरुष अस्पताल के सीएमएस डॉ. रतनपाल सिंह सुमन ने कहा कि डॉ. सुधा उनकी पत्नी जरूर हैं, लेकिन वह एक डॉक्टर हैं। वह अपना जॉब करती हैं और मैं अपना। मगर, महिला अस्पताल की सीएमएस नियम विरुद्ध काम कर रही हैं। शासन ने महिला अस्पताल में कोरोना संक्रमितों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाने से मना किया है। इसके लिए बाकायदा शासनादेश भी जारी है। फिर भी महिला अस्पताल में प्रसव इलाज को आने वाली महिलाओं का जीवन खतरे में डालते हुए महिला अस्पताल की सीएमएस ने वहां आइसोलेशन वार्ड बना दिया, जो कि पूरी तरह गलत है। डॉ. रतनपाल सिंह सुमन ने कहा कि महिला अस्पताल की सीएमएस यह बताएं कि आइसोलेशन वार्ड में तीन डॉक्टरों, तीन स्टाफ नर्स समेत अन्य स्टाफ की भी आठ-आठ घंटे की ड्यूटी लगती है। उन्होंने केवल डॉ. सुधा के खिलाफ ही एडी हेल्थ को पत्र क्यों लिखा। बाकी डॉक्टर और स्टाफ कहां है। वे नियमित ड्यूटी क्यों नहीं कर रहे। सीएमएस ने आरोप लगाया कि महिला अस्पताल में बने आइसोलेशन वार्ड में कोरोना संदिग्धों के अलावा अन्य ऑपरेशन वाले मरीजों को भी रखकर उनकी जिंदगी खतरे में डाली जा रही है। अस्पताल में पूरी तरह अव्यवस्थाएं हावी हैं। न ही डॉक्टर ठीक से ड्यूटी कर रहे हैं, न ही स्टाफ। उसे देखना क्या महिला सीएमएस की जिम्मेदारी नहीं है।
आइसोलेशन वार्ड बंद
की पड़ताल में रविवार को महिला अस्पताल का आइसोलेशन वार्ड बंद मिला। न वहां कोई डॉक्टर मौजूद था, न ही अन्य स्टाफ। अगर कोई गर्भवती महिला पहुंचे और दुर्भाग्य से उसमें कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं तो उसका इलाज कैसे होगा, इस पर कोई भी जवाब देने को तैयार नहीं है। अस्पताल के स्टाफ ने बताया कि इस समय पुरुष और महिला अस्पताल के सीएमएस में ठनी चल रही है। इसलिए पूरी तरह अव्यवस्थाएं हावी हैं। मरीजों की देखभाल भी ठीक से नहीं हो पा रही है।
महिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाना गलत है। जितने भी कोरोना संक्रमित आते हैं, उन्हें पुरुष अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में रख जाता है। अगर आइसोलेशन वार्ड बना भी है तो क्या सिर्फ एक ही डॉक्टर की ड्यूटी लगेगी। नियमानुसार वहां फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, सिस्टर, वार्ड आया, फिजिशियन की भी डयूटी लगनी चाहिए। डॉ. सुधा रोजाना अस्पताल में ड्यूटी करने जाती है। शासन का निर्देश है कि महिला अस्पताल जैसे काम कर रहे थे, वैसे ही करेंगे, तो फिर ड्यूटी ना करने की बात कैसे आ गई। -डॉ. रतनपाल सिंह सुमन, सीएमएस (पुरुष अस्पताल)
सीएमएस और सीएमओ ने महिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाने के लिए सर्वे भी कराया था। उच्चधिकारियों के निर्देश पर महिला अस्पताल में कोरोना संक्रमित महिलाओं को रखने के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। कोई गर्भवती डिलीवरी के लिए आती है और उसमें कोरोना के लक्षण मिलते है तो उसे आइसोलेशन वार्ड में रखने के बाद ही उसकी डिलीवरी कराई जाएगी। यहां एक एनेस्थेटिस्ट, फिजिशियन, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, सिस्टर, वार्ड आया की डयूटी लगाई जानी है, लेकिन फिजिशियन डॉक्टर और एक फार्मासिस्ट को पुरुष अस्पताल ने अपने यहां ड्यूटी पर लगा रखा है। ले देकर एक एनेस्थेटिस्ट डॉक्टर सुधा ही बची थीं। इसलिए उनकी ड्यूटी लगाई गई थी। उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन नहीं की। -डॉ. अनीता चौरसिया, सीएमएस, महिला अस्पताल
अभी शिकायती पत्र मुझे नहीं मिल पाया है न ही मामले की जानकारी है। शिकायत आने पर मामले को शासन को भेज देंगे, वहीं से कार्रवाई होगी। -डॉ. राकेश दुबे, एडी हेल्थ
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