शाहजहांपुर। पुवायां, कोरोना वायरस के खौफ से अब सभी पढ़े लिखे और अशिक्षित भी वाकिफ हैं। हर आयु वर्ग के लोगों की जुबान पर कोरोना का नाम है, लेकिन श्रमिक न मिलने से किसानों की मजबूरी है कि खून पसीना बहाकर तैयार की गई गेहूं की फसल पूरी तरह से पक गई है और अब इसे खेत में खड़ा नहीं रखा जा सकता। इस कारण तमाम किसान गेहूं की कटाई में जुट गए हैं। कुछ लोग कंबाइन का सहारा ले रहे हैं तो कुछ लोग अपने परिवार के साथ कटाई में जुट गए हैं। गेहूं काटते शिवरतन और उनकी पत्नी पूजा देवी कोरोना का खौफ तो है लेकिन गेहूं भी तो काटना है खुटार के गांव रौतापुर कलां निवासी शिवरतन अपनी पत्नी पूजा देवी के साथ गेहूं काटते मिले। बोले कोरोना के खौफ से घरों में बंद रहे तो गेहूं खेत में ही गिर जाएगा। गेहूं खुद काट रहे हैं और श्रमिक मिले तो उनकी मदद से बोझ बनवाकर गहाई करा लेंगे। श्रमिक नहीं मिल रहे हैं जिस कारण खुद ही गेहूं काटना पड़ रहा है। घर पर लगाया गेहूं का ढेर खुटार के गांव रामपुर कलां निवासी सचिन कुमार गेहूं के ढेर के पास मिले। बोले, गेहूं पक गया था, सो कटाना मजबूरी था। आढ़ती 17 सौ रुपये प्रति क्विंटल गेहूं खरीद रहे हैं। सेंटर लगे नहीं हैं। मजबूरी में गेहूं का घर लगाना पड़ा। सेंटर शुरू होने पर गेहूं की बिक्री करेंगे। आढ़ती उठा रहे मौके का फायदा बंडा, खुटार, पुवायां में आढ़ती गेहूं की खरीद १७ सौ रुपये प्रति क्विंटल कर रहे हैं। पुवायां क्षेत्र में ४० प्रतिशत क्षेत्रफल में गेहूं कह कटाई हो चुकी है। चार से पांच दिन में गेहूं की शेष फसल भी कट जाने की संभावना है। ऐसे में कई किसानों के पास गेहूं रखने की जगह नहीं है तो उनको मजबूरी में आढ़त पर गेहूं बेचना पड़ रहा है। बंडा के गांव धर्मापुर निवासी देवेंद्र शुक्ला ने बताया सरकारी खरीद ना होने से मजबूर होकर १७ सो रुपए में गेहूं व्यापारियों के हाथ बेचना पड़ता है। बंडा गांव धर्मापुर निवासी कृष्ण गोपाल मिश्रा ने बताया एक तरफ सरकार किसानों को राहत पहुंचाने की बात कर रही है दूसरी तरफ किसानों के गेहूं की खरीद ना होने पर अपनी फसल को औने पौने दामों में बेचना पड़ता है।
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