सरकारी विभागों में अब हर कच्चे-पक्के कार्यो पर फर्मो की ओर से प्रयुक्त मिट्टी के लिए रायल्टी चुकानी पड़ेगी। विभागों की ओर से कराए जाने वाले निर्माण कार्यो में वैध परिवहन कागजातों पर लाई जाने वाली मिट्टी के लिए नियमानुसार देय रायल्टी की कटौती फर्मो के बिलों से की जाएगी। कार्यदायी विभाग इस रायल्टी की रकम को भूतल व खनिकर्म विभाग के नाम संबंधित लेखा मद में जमा कराने का दायित्व सौंपा गया है। शासन में सचिव डॉ. रौशन जैकब की ओर से सूबे के सभी जिलाधिकारियों व सभी विभागों व सभी विभागों को इसके फरमान जारी करके अनुपालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। कार्यदायी विभागों के नोडल व पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन देवेन्द्र मणि का कहना है कि संबंधित पत्र को सभी विभागों में अनुपालन के लिए भेजे जा रहे हैं। पत्र में बताया गया है कि अब तक विभागों में जांच-पड़ताल व निरीक्षण के दौरान बड़े पैमान पर ठेकेदारों की ओर से ईएमएम -11 प्रपत्र का दुरुपयोग किया जा रहा है। यानि ईएमएम -11 की छाया प्रति व फोटोशाप करके एवं एक से अधिक जगहों व विभागों में बिलों के भुगतान के दौरान विभागों की ओर से किया जा रहा है। इससे रायल्टी की बड़ी रकम का नुकसान हो रहा है। इस पर तत्काल प्रभावी रोकथाम के निर्देश दिए गए हैं। इनमें कार्यो में हुई प्रयुक्त मिट्टी का सत्यापन खनन अधिकारी व खनन निरीक्षक से कराने के निर्देश हैं। कागजात सही मिलने पर रायल्टी वापस कर दी जाएगी शासन के निर्देशों के मुताबिक सत्यापन में परिवहन प्रपत्र के सही पाए जाने पर ठेकेदार के बिल से रायल्टी के मद में कटौती की धनराशि वापस कर दी जाएगी। लेकिन सत्यापन में परिवहन प्रपत्र के त्रुटिपूर्ण व अवैध पाए जाने पर रायल्टी भूतल व खनिकर्म के मद में जमा कर ली जाएगी और उस फर्म ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। बताया जा रहा है कि खनिज विभाग के सत्यापन के बाद इसे पोर्टल पर चिह्नांकित करके फ्लैग कर दिया जाएगा जिसे दूसरे जगहों व विभागों में उपयोग नहीं किया जा सके। खनन की ओर से अधितकम सात दिनों में सत्यापन करना होगा और ठेकेदारों के बिलों से कटौती की धनराशि में से अवैध परिवहन प्रपत्र से संबंधित धनराशि को अधिकतम 15 दिनों में भूतल व खनन विभाग के मद में भेजकर डीएम को अवगत कराया जाएगा।
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